July 1, 2025

संवाददाता

कानपुर।  अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग) कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में विरासत से विकास: योग का प्राचीन ज्ञान और आधुनिक जीवन में महत्व पर एक व्याख्यान का आयोजन प्रो. कौशल कुमार, अधिष्ठाता वानिकी महाविद्यालय एवं प्रो. विवेक कुमार त्रिपाठी, अधिष्ठाता उद्यान महाविद्यालय द्वारा किया गया। 

इस अवसर पर मुख्य वक्ता योगसाधक अंशित प्रताप सिंह के द्वारा छात्रों को योग के इतिहास के बारे में विस्तार से बताया गया।  उन्होंने बताया कि योग का ज्ञान लगभग 15000 वर्ष पूर्व भगवान शिव के अवतार आदियोगी के द्वारा हिमालय क्षेत्र में सप्त ऋर्षियों को दिया गया। 

उन्होंने आगे बताया कि शरीर में तीन प्रमुख नाड़ीया जिनमें चंद्र नाड़ी (बाई नासिका),  सूर्य नाड़ी (दाई नासिका) और सुषुम्ना (सरस्वती नाडी), जो हमारे मूलाधार के पास स्थित है, को योग के द्वारा सही रखकर स्वास्थ्य रह सकते हैं। 

उन्होंने छात्रों को बताया कि हमको रात में 11 से प्रातः 6 बजे के बीच  बिस्तर पर होना चाहिए क्योंकि इस समय हमारे शरीर में कई प्रकार की क्रियाएं होती हैं जो हमको रिफ्रेश करती है। 

इसी क्रम में प्रकृति का महत्व: वृक्षों की उपयोगिता एवं पर्यावरण संरक्षण पर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। जिसमें 51 पोस्टर, 54 स्लोगन के चार्ट और 20 अन्य पौधों के महत्व से संबंधित फ्लेक्स भी प्रदर्शित किये गए। विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधों के उपयोग के बारे में डॉ. कौशल कुमार ने तथा शोभाकारी एवं पुष्प वाले पौधों के रोपण के बारे में डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी ने तथा भारतीय संस्कृति का पर्यावरण संरक्षण में योगदान पर प्रो. सर्वेश कुमार द्वारा विस्तार से जानकारी दी गई। 

डॉ. सीमा सोनकर, अधिष्ठाता गृहविज्ञान संकाय, डॉ. विजय यादव, डॉ. सरवेंद्र गुप्ता प्रो. अभिलेश मिश्रा, प्रो. राम जी गुप्ता, डॉ. विनीता, डॉ. रश्मि, डॉ. अर्चना के साथ 250 से अधिक छात्र छात्राओं के साथ अन्य शिक्षको ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. सर्वेश कुमार ने किया।