
आज़ाद संवाददाता
कानपुर। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पहले आईआईटी कानपुर में पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए योग विषय पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में योग और नैचुरोपैथी के जरिए स्वास्थ्य और पर्यावरण स्थिरता के आपसी संबंध को लेकर चर्चा की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन के साथ हुई। आईआईटी कानपुर की ओर से करवाए गए इस विशेष कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. के. सत्य लक्ष्मी डायरेक्टर, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ नैचुरोपैथी पुणे शामिल हुईं। प्रो. सुमन सौरभ, कार्यवाहक डीन स्टूडेंट्स अफेयर्स आईआईटी कानपुर, अतीकुर रहमान डिप्टी रजिस्ट्रार स्टूडेंट्स अफेयर्स, डी.सी. मिश्रा, सहायक कुलसचिव स्टूडेंट्स अफेयर्स और एस.एल. यादव भी कार्यक्रम में शामिल थे।
कार्यक्रम के दौरान प्रो. सुमन सौरभ ने अपने संबोधन में बताया कि संस्थान ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के 100 दिनों के काउंटडाउन के तहत आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभाई है। इसमें वॉकिंग, दो योग सेशन और एक व्याख्यान शामिल है। उन्होंने कहा यह हमारी तैयारी का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य आईआईटी कानपुर में योग के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
इस दौरान मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. के. सत्य लक्ष्मी डायरेक्टर, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ नैचुरोपैथी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि योग दिवस को लेकर 10 तरह के विशिष्ट कार्यक्रम करवाए जा रहे हैं, जिनमें योग अनप्लग्ड, योग प्रभाव और हरित योग कार्यक्रम शामिल हैं। योग से जुड़े इन सभी कार्यक्रमों का उद्देश्य योग की विभिन्न विधाओं और उसके प्रकृति से संबंध के बारे में बताना है। इसके साथ ही, डॉ. के. सत्य लक्ष्मी ने सभी लोगों से योग कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभाने और अपने रोजमर्रा के जीवन में योग को शामिल करने पर जोर दिया।
इस मौके पर डॉ. लक्ष्मी ने योग में नैचुरोपैथी की भूमिका के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय नैचुरोपैथी को वैश्विक स्तर पर उत्कृष्टता मिली है। आज दुनियाभर के कई देश इस प्राचीन पद्धति को सीखने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं।
इसके अलावा डॉ. लक्ष्मी ने वहां मौजूद लोगों को सलाह देते हुए कहा कि योग करने के दौरान वह जल्दबाज़ी में नहीं, बल्कि धीरे-धीरे और पूर्ण जागरूकता के साथ योगाभ्यास करें। उन्होंने यह भी बताया कि सभी नैचुरोपैथी ट्रीटमेंट्स शरीर की शुद्धि के सिद्धांत पर आधारित हैं।
कार्यक्रम के समापन से पहले लोगों ने उनसे नैचुरोपैथी और योगाभ्यास को लेकर सवाल भी पूछे। आईआईटी कानपुर की यह पहल दर्शाती है कि योग और नैचुरोपैथी स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने के साथ-साथ पर्यावरण के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध स्थापित करने में भी सहायक हो सकते हैं।