
संवाददाता
कानपुर। जाजमऊ के 130 और 43 एमएलडी की दोनों एसटीपी में खतरनाक क्रोमियम युक्त स्लज को हटाने में 45 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। जल निगम ग्रामीण ने ट्रीटमेंट स्टोरेज एंड डिस्पोजल फैसिलिटी विधि से इसे कराने का प्रस्ताव तैयार किया है। आईआईटी की ओर से हुई जांच में स्लज में क्रोमियम की मात्रा अधिक मिली थी। जिसके बाद गंगा नदी व आस-पास के लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव तैयार किया गया है।
पिछले दिनों एनजीटी की एक टीम ने जाजमऊ के 130 और 43 एमएलडी एसटीपी के स्लज व पानी के नमूने लिए थे। इसके साथ ही जाजमऊ, बिनगवां, सजारी क्षेत्र में चल रहे सीवेज शोधन संयन्त्रों से निकलने वाले स्लज का परीक्षण आईआईटी कानपुर से कराए जाने के निर्देश जारी किए गए थे।
जिस पर केआरएमपीएल संस्था की ओर से आईआईटी कानपुर से जनवरी 2025 में स्लज की सैंपलिंग कराई गई थी। आईआईटी की जांच रिपोर्ट में सामने आया कि 130 व 43 एमएलडी एसटीपी जाजमऊ से स्लज में क्रोमियम तत्व की मात्रा अधिक है। स्लज के निस्तारण के लिए ट्रीटमेंट स्टोरेज एण्ड डिस्पोजल फैसिलिटी पद्धति का उपयोग करने की सलाह आईआईटी ने केआरएमपीएल को दी थी।
भारत ऑयल एवं वेस्ट मैनेजमेंट लि. ने क्रोमियम युक्त स्लज को हटाने के लिए 16 रुपए प्रति किलो की दर का प्रस्ताव दिया, क्योंकि 10 एमएलडी एसटीपी जाजमऊ पर कुल 79.50 टन प्रति दिन स्लज आता है। जिसका निस्तारण करने के लिए प्रत्येक दिन 12.75 लाख रुपए खर्च होंगे। जल निगम ग्रामीण के मुख्य अभियंता सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि इस तरह प्रति माह 45.82 करोड़ रुपए की जरूरत होगी।