December 7, 2025

संवाददाता
कानपुर। 
बीएनडी कॉलेज में कंप्यूटर आपरेटर पद की भर्ती में लाखों रुपए की रिश्वत लेने का मामला सामने आया है। मामले में पीड़ित ने 20 दिसंबर 2024 को सीएम के जनता दर्शन में शामिल होकर शिकायत की थी, इसके बाद 15 अक्टूबर को भाजपा के झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के प्रदेश मीडिया प्रभारी सुदीप सक्सेना ने भी सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा।
मामले की जांच प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा व प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद को सौंपी गई। आरोप है कि मामले में तीन लाख टोकन मनी ली गई। इनके स्थान पर अपने चचेरे भाई को नौकरी दे दी। साल 2024 में 25 लाख की मांग की।  

पहले दिए गए तीन लाख वापस मांगने पर पीड़ित को प्रिंसिपल डॉ. विवेक द्विवेदी ने धमकाया और रुपए भी वापस नहीं किए। 
दामोदर नगर निवासी पीड़ित शशांक शुक्ला ने बताया कि मैं ब्रह्मानंद कालेज मालरोड में साल 2006-07 से अस्थायी रुप से कंप्यूटर आपरेटर पद पर कार्यरत था। साल 2013 में प्राचार्य डॉ. विवेक द्विवेदी द्वारा मुझसे यह कहकर तीन लाख रुपए टोकन मनी के रुप में लिए गए कि नियुक्ति आने वाली है। मैं तुम्हारी स्थायी नियुक्ति कर दूंगा। मैंने तीन लाख रुपए दे दिए, लेकिन इन्होंने मेरी नियुक्ति न करके अपने चचेरे भाई मनीष द्विवेदी की नियुक्ति कर दी। जो कि नियम विरुद्ध है। जबकि प्राचार्य के सगे संबंधी की नियुक्ति नहीं की जा सकती है। इसका एफिडेविट भी लगता है। हमसे यह कहा गया कि भविष्य में तुमको कहीं न कहीं एडजस्ट कर लिया जाएगा, पद रिक्त होगा तो नियुक्ति परमानेंट कर दूंगा।
2024 में जब नियुक्ति आई तो मुझको बुलाकर प्राचार्य ने कहा कि 25 लाख रुपए लाओ।
पीड़ित ने बताया कि बताई गई सारी बातें वॉइस रिकार्डिंग में मेरे पास हैं। वॉइस रिकॉर्डिंग में उप प्राचार्य डॉ. नवनीत मिश्रा भी इनके काले कारनामों में बराबर के साझीदार हैं। बताया इनके बुआ के बेटे सुनील त्रिपाठी जो कि वेतन लिपिक हैं। वह बता रहे थे कि किस पद पर कितनी तनख्वाह है और इस पद पर हम इसके नीचे नियुक्ति नहीं करेंगे। रिकार्ड कीपर अभिषेक शुक्ला भी रिकार्डिंग में हैं। सबकी आवाजें हैं।
मैनें 25 लाख देने में असमर्थता दिखाई और अपने दिए गए तीन लाख वापस मांगे तो इन्होंने कहा कि मैं भाजपा का बड़ा नेता हूं। तुम मेरा कुछ नहीं उखाड़ पाओगे। मैं तुम्हें बरबाद कर दूंगा। मेरे पास बहुत पैसा है। मैं सारे अधिकारियों को खरीद लूंगा। आरोप है कि इस मामले में कई बड़े अधिकारी शामिल हैं। इसी वजह से जांच में हीलाहवाली हो रही है।
पीड़ित ने बताया कि मैं 20 दिसंबर 2024 को सीएम के जनता दर्शन में गया था। मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात नहीं हो पाई थी। लेकिन मैं प्रार्थना पत्र दे आया था। उसके बाद 21 दिसंबर को मेरे खिलाफ कैंट थाने में फर्जी मुकदमा लिखा दिया गया। जो कि सबूतों के अभाव में स्पंज हो गया। मेरी सीएम से मांग है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। आरोप है कि निदेशालय के अधिकारी मामले में संलिप्त होने के चलते किसी अन्य एजेंसी से कराई जाए।
प्रिंसिपल डॉ. विवेक द्विवेदी ने बताया कि शशांक द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। वह कई बार प्रार्थना पत्र दे चुके हैं। उन्होंने दिसंबर महीने में मुझसे अभद्रता की थी, जिस पर मैंने कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। मामले में चार्जशीट लग चुकी है। भाजपा के जिस नेता के लेटरपैड पर शिकायत की गई है, उसकी भी जांच हो की। वह लेटरपैड सही भी है या नहीं।
पीड़ित ने एक वॉइस रिकार्डिंग उपलब्ध कराई है, जिसमें बताया जा रहा है कि प्रिंसिपल डॉ. विवेक द्विवेदी नियुक्ति के नाम पर पैसे आदि की मांग कर रहे हैं। 33 मिनट सात सेकेंड के ऑडियो में ये बातें हैं।