October 18, 2024

कानपुर। पहली बार पढ़ने गए मासूम को इतनी भी समझ नहीं थी कि प्यास लगने पर क्या पीना चाहिए।इतने छोटे बच्चे की देखरेख के लिए हमेशा किसी व्यस्क की जरूरत होती है। लेकिन बिना देखरेख के बच्चों को छोड़ देने की  आंगनवाड़ी केंद्र की लापरवाही एक मासूम बच्चे की जान पर भारी पड़ गई। एक आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने गए 3 साल के मासूम को प्यास लगी, तो उसने टॉयलेट क्लीनर को पानी समझकर पी लिया। जानकारी होने के बाद आंगनवाड़ी सहायिका बच्चे को आनन फानन घर छोड़ आई। बच्चे हालत बिगड़ने पर परिवार वालों द्वारा आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों का आरोप है कि आंगनवाड़ी सहायिका अगर समय से बच्चे को सीधे अस्पताल ले जाती तो बच्चा बच जाता। परिजनों ने बच्चे को 3 साल का होने पर उसे पहली बार स्कूल भेजा था।
घाटमपुर के असेनिया गांव में रहने वाले रामबाबू पाल खेती किसानी करके अपने परिवार को चलाते हैं। घर पर पत्नी रानीदेवी, बड़ा बेटा सौरभ और तीन साल का सबसे छोटा बच्चा निखिल था।
रामबाबू  ने बताया कि निखिल पिछले 8-10 दिन से गांव के प्राथमिक विद्यालय में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में जा रहा था। करीब 1 बजे उसने स्कूल के टॉयलेट में रखा टॉयलेट क्लीनर पानी समझकर पी लिया। आस-पास खेल रहे बच्चों ने निखिल को क्लीनर पीते देखा तो आंगनबाड़ी सहायिका विद्यावती और स्कूल की टीचर्स को बताया।
आंगनबाड़ी सहायिका मासूम निखिल को उसके घर ले गई और क्लीनर पीने की बात परिजनों को बताते हुए बच्चा सौंप दिया।  परिजनों ने इसकी जानकारी ग्राम प्रधान रामकांत पाल को दी।प्रधान और परिजन बच्चे को आनन-फानन में जहानाबाद सीएचसी लेकर पहुंचे। जहां से उसे फतेहपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया । देर शाम डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इस ह्रदय विदारक मामले में बच्चे की मौत की सबसे बड़ी वजह लापरवाही रही है। उसके टॉयलेट क्लीनर पीने के बाद स्कूल में मौजूद आंगनबाड़ी सहायिका और टीचर्स को पता चल गया था। लेकिन टीचर्स लापरवाही बरतते हुए उसे अस्पताल नहीं लेकर गईं और  बच्चे को घरवालों को सौंप दिया।
जब बच्चे की तबीयत बिगड़ना शुरू हुई, तब उसे सीएचसी और बाद में  अस्पताल ले जाया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।