
संवाददाता
कानपुर। पुलिस ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के बॉटलिंग प्लांट में चल रही बड़ी वसूली का खुलासा किया है। सीएम योगी से शिकायत के बाद पनकी पुलिस ने एक्शन लिया। यहां से निकलने वाले हर सिलेंडर लदे ट्रक से 1250 रुपए इंडियन ऑयल के अफसरों का सिंडीकेट अवैध वसूल रहा था।
पीड़ित ट्रक चालक ने मामले की शिकायत योगी से की थी। सीएम ऑफिस ने संज्ञान लिया तो पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में ट्रक ड्राइवर के साथ पहुंचे। पुलिस ने 1250 रुपए वसूलने वाले को रंगेहाथों दबोच लिया। पुलिस अब पूछताछ करके जल्द ही पूरे सिंडीकेट का खुलासा करेगी। पुलिस ने आरोपी मुंशी मोहन के पास से 1200 रुपए घूस के बरामद किए। मोहन ने कहा- साहब भगवान कसम, ये पैसे मैं नहीं लेता। कंपनी ठेकेदार किशन लेते हैं।
कानपुर के दबौली वेस्ट संतकबीर नगर में रहने वाले संतोष कुमार का ट्रक इंडियन ऑयल के बॉटलिंग प्लांट में अटैच है। यहां से निकलने वाले हर ट्रक से प्रति चक्कर 1250 रुपए की वसूली की जाती है। संतोष ने कानपुर में पनकी थाने से लेकर पुलिस कमिश्नर तक शिकायत की, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। इसके बाद संतोष 4 अक्टूबर को सीएम की जनता दर्शन में शिकायत करने पहुंचे। योगी ने उनकी शिकायत सुनी।
सीएम ऑफिस से मामले में जांच बैठाई गई तो एडीसीपी वेस्ट कपिलदेव सिंह फोर्स के साथ खुद मौके पर पहुंचे। उन्होंने दो पुलिस कर्मियों को सिविल ड्रेस में रुपए देकर संतोष के ट्रक में बैठा दिया। ट्रक चालक से जैसे ही 1250 रुपए की वसूली की गई पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया।
वसूली करने वाले ने अपना नाम राजस्थान के भरतपुर का निवासी मोहन बताया। मोहन से पूछताछ के आधार पर कानपुर देहात गजनेर निवासी सुमेंद्र भदौरिया और किशनलाल गोयल को हिरासत में लिया है। देर रात तक तीनों से पूछताछ हुई।
इसके बाद पनकी थाने की पुलिस ने ट्रक चालक संतोष की तहरीर पर मानेंद्र भटनागर, संतोष कुमार, किशन लाल गोयल, सुमेंद्र भदौरिया और मोहन के खिलाफ जबरन वसूली समेत अन्य गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
डीसीपी वेस्ट दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि इंडियन ऑयल के सिलेंडर डिपो में ट्रक चालकों से अवैध वसूली की जा रही थी। पुलिस ने वसूली के सिंडीकेट का खुलासा करके एफआईआर दर्ज की है। इसमें विभाग के लोगों की भी मिलीभगत सामने आ रही है। जल्द ही आरोपियों को अरेस्ट करके जेल भेजा जाएगा।
पीड़ित संतोष ने बताया कि पनकी थाना, एसपी और डीसीपी से लेकर पुलिस कमिश्नर तक पहले शिकायत की थी। लेकिन थाने स्तर से हर बार जांच के नाम पर खानापूर्ति करके टाल दिया जाता था। इस वजह से वसूलीबाजों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हाे सकी थी। सीएम ऑफिस ने मामले का संज्ञान लिया तो पुलिस ने खुद ट्रक ड्राइवर के साथ सिविल ड्रेस में बैठकर इस वसूली के सिंडीकेट का खुलासा किया।