
संवाददाता
कानपुर। यूपी में कोविड के नए वैरिएंट से पहली मौत आगरा में हुई है। 40 एक्टिव पेशेंट होम आइसोलेशन में हैं। सबसे ज्यादा एक्टिव पेशेंट नोएडा, गाजियाबाद में मिले हैं। एक्सपर्ट मान रहे हैं कि कोविड की चौथी लहर आती है, तो उसका असर 21 से 28 दिन तक रहेगा। हालांकि, यह दूसरी लहर की तरह जानलेवा नहीं होगी।
जिन लोगों ने वैक्सीनेशन करवाया था, वह भी एहतियात बरतें, क्योंकि वैक्सीनेशन नए वैरिएंट का असर होने से नहीं रोक सकता। इतना जरूर है कि पुराने वैक्सीनेशन की इम्यूनिटी अभी भी पूरी तरह से कमजोर नहीं हुई हो तो यह आपके शरीर को नए वैरिएंट से लड़ने में मदद जरूर कर सकती है।
बीएचयू के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे की राय में भारत में एक बार फिर कोविड -19 के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। इसकी बड़ी वजह नया जे एन.1 वैरिएंट है। यह ओमिक्रॉन का ही एक सब-वेरिएंट है, जो तेजी से फैलने की क्षमता रखता है।
जे एन.1 को सबसे ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है, क्योंकि यह उन्हें भी संक्रमित कर सकता है जो पहले कोविड से ठीक हो चुके हैं। हालांकि, यह कोविड-19 की शुरुआती लहरों जितना घातक नहीं है।
इस पर बहुत से रिसर्च हुए हैं, लेकिन अभी तक सही वजह नहीं पता लगी है। इसका मेजर कनेक्शन हमारे शरीर में एंटीबॉडी के लेवल के डाउन होने से है। वेदर को लेकर रिसर्च किया था कि अगर यह सर्दी में फैलता, तो इसका असर ज्यादा घातक होता? या कितना असर होता? इसमें रिजल्ट आया कि अप्रैल महीने यानी गर्मी में यह ज्यादा तेजी से लोगों को संक्रमित करता है।
टेस्टिंग और सीक्वेंसिंग की इस समय सबसे ज्यादा जरूरत है। इससे यह पता चल जाएगा कि क्या कोई नया वैरिएंट भी एक्टिव हो रहा है। अब यह भी जरूरी है कि लोग अवेयर हों कि अगर कोविड पॉजिटिव हो जाए, तो घबराए नहीं। खुद को कैसे सुरक्षित रखना है, इस पर ध्यान दें।
कोविड महामारी की अलग-अलग लहरों में संक्रमण की अवधि और असर अलग-अलग रहा है। पहली लहर के दौरान देश में सख्त लॉकडाउन और अन्य नियंत्रण उपाय किए गए। इससे संक्रमण की रफ्तार पर काबू पाया जा सका था। इसी कारण यह लहर लगभग दो महीने तक सक्रिय रही और धीरे-धीरे थम गई।
दूसरी लहर में हालात कुछ अलग थे। लॉकडाउन जैसे सख्त प्रतिबंध नहीं लगाए गए थे। इसके अलावा वायरस का संक्रमण फैलने की दर भी अधिक थी, इस कारण यह लहर लगभग 21 दिनों में चरम पर पहुंच गई।
तीसरी लहर की शुरुआत सबसे पहले अफ्रीका में देखी गई थी, वहां यह 32 दिनों तक सक्रिय रही। भारत में यह लहर लगभग 28 दिनों तक चली।
अब जब चौथी संभावित लहर की आशंका जताई जा रही है, तो इसका असर 21 से 28 दिनों के भीतर कम हो सकता है। यह अनुमान सिंगापुर जैसे देशों में देखे गए हालिया संक्रमण के ट्रेंड पर आधारित है, जहां संक्रमण की अवधि सीमित रही है।
एशिया में सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और अमेरिका में कोरोना के मामलों में उछाल की वजह एन बी.1.8 ही है, इसलिए कह सकते हैं कि यह पुराने वैरिएंट्स की तुलना में तेजी से फैलता है। हालांकि, इसमें डेल्टा या शुरुआती ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण होने वाली शुरुआती कोरोना की लहरों के विपरीत संक्रमण के मामले हल्के हैं। इसलिए हॉस्पिटल में कम मरीज भर्ती किए जा रहे हैं।