July 9, 2025

संवाददाता

कानपुर।  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी  कानपुर के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएशन फॉर कंप्यूटिंग मशीनरी इंडिया काउंसिल ऑन वुमन इन कंप्यूटिंग ग्रैंड कोहोर्ट फॉर वुमन इन रिसर्च का सातवां संस्करण आयोजित किया गया।

यह एक प्रमुख मेंटरशिप पहल है जिसका उद्देश्य भारत की महिला शोधार्थियों को करियर मार्गदर्शन, प्रेरणा और समर्थन प्रदान करना है। अमेरिका के सीआरए -डब्लू पी ग्रैंड कोहोर्ट की तर्ज पर इस कार्यक्रम की शुरुआत 2018 में भारत में की गई थी, ताकि स्थानीय संदर्भ में महिला शोधार्थियों को सहयोग और मार्गदर्शन मिल सके। यह कार्यक्रम महिलाओं के लिए नेटवर्किंग, सहयोग और व्यक्तिगत सलाह प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है।

2025 के संस्करण में प्रेरणादायक भाषण, मेंटरिंग सत्र और कार्यशालाएं शामिल थीं, जिनका उद्देश्य शोध में रुचि रखने वाली महिलाओं के लिए एक सहयोगपूर्ण और उत्साहवर्धक वातावरण तैयार करना था। 

कार्यक्रम की शुरुआत कोर्स कोऑर्डिनेटर प्रो. प्रीति मलाकर के स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. सुरेंदर बसवाना ने उद्घाटन भाषण दिया। उन्होंने बताया कि आईआईटी में महिलाओं के लिए 20% सीटें आरक्षित होने से सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि हालाँकि महिलाएं कुल सीटों का केवल 20% हिस्सा हैं, फिर भी वे पदक जीतने में कहीं अधिक आगे हैं। यह दिखाता है कि जब महिलाओं को समान अवसर मिलते हैं, तो वे उत्कृष्ट प्रदर्शन करती हैं।

इसके बाद डॉ. अरुणा राजन ने अपने अनुभव साझा किए। वे आईबीएम, गूगल जैसी कंपनियों में काम कर चुकी हैं और उनके पास थ्योरीटिकल फिजिक्स में पीएचडी है। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने प्रतिष्ठित पदों को छोड़कर वह कार्य चुना जो उन्हें सच्ची संतुष्टि देता है। उन्होंने कहा कि किसी पद पर होने से ज्यादा जरूरी है कि आप कुछ सार्थक करें। 

आईआईटी दिल्ली की प्रो. माया रमणाथ ने शोध में करियर बनाने की यात्रा, पीएचडी की शुरुआत से लेकर पोस्टडॉक और फैकल्टी बनने तक, पर उपयोगी सुझाव दिए। 

इसके बाद प्रो. नितिन सक्सेना  के साथ बातचीत हुई, जो अपने एकेएस प्राइमेलिटी टेस्ट के लिए प्रसिद्ध हैं और जिन्हें फुल्करसन तथा गोडेल जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्होंने इस खोज और उसके पीछे की व्यक्तिगत यात्रा पर चर्चा की। यह सत्र प्रो. अमेय करकरे ने संचालित किया, जिन्होंने अपने बड़े पैमाने के प्रोजेक्ट्स और दृढ़ता की कहानी साझा की।

आईबीएम आईआरएल की डॉ. रेनुका सिंधगट्टा और आईआईटी कानपुर की प्रो. उर्बी चटर्जी ने अकादमिक और इंडस्ट्री अनुसंधान में अंतर को समझाया। उन्होंने बताया कि दोनों क्षेत्रों में विषय चयन की स्वतंत्रता और समयसीमा किस प्रकार अलग होती है। आईबीएम आईआरएल की डॉ. विनि कंवर और प्रो. प्रियंका बगड़े ने पीएचडी के बाद के अवसरों पर चर्चा की और बताया कि टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में महिलाएं किस तरह अपनी विशेष क्षमताओं के साथ योगदान देती हैं। प्रो. मुकुलिका मैती ने बताया कि कैसे प्रश्न पूछने में झिझक से बाहर निकलना जरूरी है और यह आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करता है।

प्रतिभागियों ने क्वांटम कंप्यूटिंग पर भी जानकारी प्राप्त की। आईआईटी कानपुर के प्रो. रजत मित्तल और आईबीएम आईआरएल की डॉ. अनुपमा राय ने इस उभरते क्षेत्र की बुनियादी बातें और शोध के नए अवसरों के बारे में बताया।

माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च की डॉ. जयश्री मोहन ने एक प्रभावी संवाद पर हाथों-हाथ कार्यशाला कराई। सोनिया गर्चा ने सीएस पाठशाला की गतिविधियों और चुनौतियों को साझा किया। कार्यक्रम में दो पैनल चर्चा और एक केंद्रित मेंटरिंग सत्र भी शामिल थे, जहां छात्राएं वरिष्ठ महिला शोधकर्ताओं से अपने सवालों के खुले और स्पष्ट उत्तर प्राप्त कर सकीं। प्रतिभागियों ने आईआईटी कानपुर के सी3आई सेंटर का भी भ्रमण किया। इस पूरे आयोजन को कंप्यूटर साइंस विभाग के 11 समर्पित स्वयंसेवकों ने सफलतापूर्वक संचालित किया।