
आ स. संवाददाता
कानपुर। प्रसिद्ध कथावाचक पं. देवकी नंदन महाराज ने बुधवार को कानपुर में लाजपत नगर में विश्व शांति सेवा समिति के एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां उन्होंने समिति के ऑफिस का उद्घाटन किया।
इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पं. देवकी नंदन महाराज ने कहा- मैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी, सपा सुप्रीमो अखिलेश और लालू यादव से एक सवाल पूछना चाहता हूं।
अगर देश नहीं बचा तो क्या, आप राजनीतिक पद पर रह पाओगे? अगर हिंदू नहीं बचा और भारत नहीं बचा तो क्या आप सांसद, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री बन पाओगे?
वक्फ संशोधन बिल लागू होने के बाद बंगाल के मुर्शिदाबाद में हो रही हिंसा को लेकर पं. देवकी नंदन महाराज ने कहा कि जब मैं कानपुर में कथा करने आया था तो बांग्लादेश में हिंसा जारी थी।
अब बांग्लादेश से हिंसा बंगाल तक पहुंच गई है। बंगाल में दलित माता-बहनों पर आक्रमण हो रहे हैं। वहां दलित वर्ग की महिलाएं घर छोड़ कर भाग रही हैं। वो तीन-तीन दिन तक नहीं सो पा रही हैं।
हमको यह बातें सोचनी होगी कि कब तक हम अपने देश, धर्म को दांव पर लगाते रहेंगे, कब तक हमे मारा काटा जाएगा और हम भागते रहेंगे। उन्होंने कहा कि भागना किसी समस्या का हल नहीं है। भागना नहीं, हमें उनको मुंहतोड़ जवाब देना होगा।
धर्मशास्त्र और शास्त्र में अंतर बताते हुए उन्होंने कहा कि शास्त्रों का मतलब ज्ञान देना होता है, जबकि धर्मशास्त्रों में जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आजकल जो शास्त्र हमें पढ़ाए जा रहे हैं, उनमें सिखाया जाता है कि पैसा कैसे कमाएं। धर्मशास्त्र से जीवन कैसे जिया जाए, यह सिखाते हैं।
आज जो समाज में विकृति आई है, पत्नी-पति की हत्या कर रही हैं, पति–पत्नी की हत्या कर रहा है। यह समस्या सिर्फ इसलिए है कि हमने रामायण नहीं पढ़ी है।
कानपुर में कार्यालय शुभारंभ के मौके पर सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। सचिव विपिन बाजपेई ने बताया कि 24 से 31 अक्टूबर तक कानपुर में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा।
देवकीनंदन ठाकुर का जन्म 12 सितंबर, 1978 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ था। वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा के ओहावा गांव के एक ब्राह्मण परिवार से हैं। पिता राजवीर शर्मा और मां अनसुइया देवी ने उनका नाम देवकी प्रसाद शर्मा रखा था।
देवकी नंदन की मां श्रीमदभगवद्गीता में काफी विश्वास रखती थींं। उनके अलावा उनके 4 भाई और 2 बहनें भी हैं। 6 साल की उम्र में वह घर छोड़कर वृंदावन पहुंचे और ब्रज के रासलीला संस्थान में शामिल हो गए। रासलीला संस्थान में उन्होंने भगवान कृष्ण और राम की भूमिका निभाई। श्रीकृष्ण यानी ठाकुरजी की भूमिका निभाने के बाद उन्होंने खूब चर्चाएं बटोरीं।
देवकी नंदन को 13 साल की उम्र में ही श्रीमद्भागवत पुराण कंठस्थ हो गई थी। इसके साथ ही उन्होंने निंबार्क संप्रदाय के अनुयायी के रूप में गुरु-शिष्य की परंपरा के तौर पर दीक्षा ली। देवकीनंदन ठाकुर महाराज गुरु आचार्य पुरुषोत्तम शरण शास्त्री जी ने इनका नाम देवकीनंदन ठाकुर महाराज रखा। उनकी प्रतिभा और बोलने की कला के कारण इन्हें श्रीमद्भागवत पुराण के वाचन का कार्य सौंपा गया।
18 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली के शाहदरा में श्रीराम मंदिर में श्रीमद्भागवत महापुराण के उपदेश दिए। इसके बाद उन्होंने कई जगहों पर श्रीकृष्ण और राम कथा कही। धीरे-धीरे उनके फॉलोअर्स की संख्या बढ़ने लगी। साल 2001 के बाद से वह मलेशिया, थाईलैंड, डेनमार्क, स्वीडन, नार्वे, हॉन्गकॉन्ग जैसे देशों में भी वह प्रवचन कर चुके हैं। उनका विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट भी है। उनके आश्रम में संस्कृत छात्र विकास, गौशाला, वृद्धाश्रम, अनाथों को प्रश्रय और समुदाय के बीच एकता स्थापित करने जैसे काम किए जाते हैं।
देवकी नंदन के धर्मार्थ कार्यों के लिए साल 2015 में उन्हें उत्तर प्रदेश रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद ये अवॉर्ड उन्हें दिया था। श्री ब्राह्मण महासंघ ने उन्हें अचार्यिंद्र के पद के साथ सम्मानित किया है। इसके साथ ही उन्हें कई तरह के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। सोशल मीडिया पर पर भी देवकीनंदन के फॉलोअर्स लाखों में हैं।