June 1, 2025

संवाददाता
कानपुर।
  शहर में गंगा लगातार घाटों से दूर हो रही है। गंगा बैराज पर ही 1 किलोमीटर तक गंगा सिमट गईं हैं। नरौरा डैम से पर्याप्त पानी न आने की वजह से सिंचाई विभाग को स्टोर किया हुआ पानी छोड़ना पड़ रहा है। इसके बावजूद अटल घाट व इससे आगे पानी घाटों से दूर होता जा रहा है।
गंगा में पानी कम होने की वजह से जलकल को भी अपने पंपिंग स्टेशनों से रॉ वाटर लेने में दिक्कत आने लगी है। इसको लेकर ड्रेजर मशीनों को लगाने के साथ ही अब बंधा बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। वहीं सिंचाई विभाग का मानना है कि अगर 20 जून तक मानसून नहीं आया तो शहर में जल संकट की स्थितियां खड़ी हो सकती हैं।
कानपुर में गंगा को 1700 क्यूसेक पानी की प्रतिदिन जरूरत है, लेकिन मांग के सापेक्ष गंगा बैराज को महज 1 हजार क्यूसेक पानी मिल रहा है। नरौरा बांध से मंगलवार को 1037 क्यूसेक पानी कानपुर की ओर छोड़ा गया। खींच-तान कर बैराज और भैरोघाट पंपिंग स्टेशन पर गंगा का जलस्तर पेयजल की जरूरत के हिसाब से बनाए रखा जा रहा है। 

नरौरा बांध और बैंक में जमा स्टोरेज से कानपुर बैराज से 2281 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। जिससे जलकल पंपिंग स्टेशन को पर्याप्त मात्रा में कच्चा पानी मिला। गंगा बैराज के आस-पास नाव का संचालन पूरी तरह से बंद हो गया है। यहां पानी न होने की वजह से गंगा के तट पर ही खेती हो रही है। तापमान बढ़ने से शहर की प्यास बुझाने के लिए 490 मिलियन लीटर पानी पानी की रोजाना जरूरत पड़ रही है, जबकि इसके सापेक्ष 430 एमएलडी पानी की सप्लाई हो पा रहा है। ऐसे में 60 मिलियन लीटर पानी प्रति दिन कम सप्लाई हो रहा है।
गंगा का जलस्तर कम से कम 358 फीट बनाये रखने की जरूरत होती है, लेकिन गर्मी बढ़ने की वजह से नरौरा से पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा गया है। इससे इंटेक प्वाइंट पर जलस्तर घट रहा है। भैरोघाट इंटेक पर रॉ-वाटर लेने में दिक्कत आने लगी है। भैरोघाट पर 200 एमएलडी कच्चे पानी को एकत्र करने की क्षमता है। जिसके मुकाबले कच्चा पानी कम लिया जा पा रहा है, हालांकि जलकल की ड्रेजर मशीन तैयार है। बंधा बनाकर पानी लिया जा रहा है।
सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान समय में स्थितियां नियंत्रण में हैं, 2000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। लेकिन 20 जून तक मानसून नहीं आया तो जल संकट खड़ा हो सकता है। जिससे पंपिंग स्टेशनों को रॉ वाटर मिलने में किल्लत होगी।