
आ स. संवाददाता
कानपुर। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। 14 मार्च को पूरे देश में रंगों की बौछार होगी। इस वर्ष होलिका पर भद्रा का साया रहेगा, जिस कारण रात 10:37 के बाद होलिका दहन का योग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक समय होलिका दहन के लिए सबसे शुभ है।
टैरो कार्ड रीडर डॉ. नितिशा मल्होत्रा के मुताबिक इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 13 मार्च सुबह 10:35 बजे से शुरू हो रही है, जो 14 मार्च दोपहर 12: 23 बजे तक रहेगी। पूर्णिमा के साथ 13 मार्च की सुबह 10.03 बजे से होलिका पर भद्रा का साया भी लगने जा रहा है, जो रात 10.37 बजे तक रहेगा।
भद्रा में होलिका दहन वर्जित है, ऐसे में उसके समाप्त होने के बाद रात 10.38 बजे से होलिका दहन किया जा सकेगा। 14 मार्च को चंद्रग्रहण में रंग खेला जाएगा।14 मार्च को सुबह 10.39 बजे चंद्र ग्रहण लग जाएगा, जो दोपहर 2.18 बजे तक रहेगा, लेकिन इसका प्रभाव भारत में नहीं रहेगा।
डॉ. नितिशा ने बताया कि होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा।
होली के दिन बड़ों के पैरों में गुलाल लगाना सम्मान और आशीर्वाद प्राप्ति का प्रतीक है। यह परंपरा परिवार और समाज में प्रेम, सद्भावना, और एकता को बढ़ावा देती है। बड़ों का आशीर्वाद लेने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।
होली के दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी को प्रसन्न करने के लिए राधा-कृष्ण स्तोत्र या राधा-कृष्ण अष्टकम का पाठ करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा गोविंद स्तुति और कृष्णाष्टकम का पाठ भी किया जा सकता है, जिससे उनकी कृपा प्राप्त होती है।
होलिका दहन वाले स्थान को गंगा जल छिड़क कर शुद्ध करें, इसके बाद रोली, अक्षत, फूल, माला, नारियल, गुड़, कच्चा सूत, और नई फसल जैसे गेहूं की बालियां चढ़ा कर पूजन करें। होलिका के चारों ओर कच्चा सूत 3 या 7 बार बांधें। अंत में लकड़ी, उपले, बेर और अन्य सामग्री होलिका को अर्पित कर परिक्रमा करें।