July 31, 2025

संवाददाता
कानपुर।
  बिल्हौर तहसील क्षेत्र में सड़कों और बाजारों में घूमते छुट्टा जानवरों का आतंक एक समस्या बनता जा रहा है। ये जानवर यातायात में बाधा डालते हैं। राहगीरों, दुकानदारों और वाहनों के लिए खतरा भी पैदा करते हैं। गांवों में घूमते ये जानवर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। इनके हमले से लोगों की जान पर भी खतरा बना रहता है।

छुट्टा जानवरों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने गौशालाएं बनवाईं है। लेकिन इससे कोई स्थाई समाधान नहीं निकला। गांव के अलावा शहरों व कस्बों में मोहल्लों, बाजारों और सड़कों पर छुट्टा जानवरों के झुंड घूमते पाए जाते हैं। बिल्हौर, शिवराजपुर, चौबेपुर, अरौल व ककवन में यह स्थिति आसानी से देखी जा सकती है।
ये जानवर सामाजिक,आर्थिक और शारीरिक हर तरह का नुकसान कर रहे हैं। सड़कों और बाजारों में आपस में झगड़ते हैं। कभी राहगीरों और दुकानदारों पर हमलावर हो जाते हैं। इससे दुर्घटनाएं हो रही हैं। इन दुर्घटनाओं में कई लोगों की जान भी जा चुकी है। 

गांवों में छुट्टा जानवर किसानों की फसल चट कर जाते हैं। फसल को बचाने के लिए किसानों को जान जोखिम में डालनी पड़ती है। सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी छुट्टा जानवरों की बढ़ती समस्या के कई कारण हैं।
पालतू जानवरों का परित्याग इसका एक प्रमुख कारण है। लोग अपने पालतू जानवरों को आवारा छोड़ने के आदी हो गए हैं। इससे उनकी संख्या बढ़ रही है। इसका प्रभाव शहरों में अधिक देखने को मिलता है। दुधारू पशुओं को भी दूध निकालने के बाद सड़क पर छोड़ दिया जाता है। गौशालाओ की कमी भी एक बड़ी समस्या है। छुट्टा जानवरों को रखने की जगह की कमी है। मौजूदा गौशालाओं में भी जिम्मेदारों द्वारा सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जा रही है।
सरकार द्वारा पालतू जानवरों का पंजीकरण और नियंत्रण सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि लोगों को उन्हें आवारा छोड़ने से रोका जा सके। गौशालाओं का निर्माण किया जाना चाहिए ताकि छुट्टा जानवरों को सुरक्षित रखा जा सके। साथ ही इनकी कड़ी मानीटरिंग होनी चाहिए और लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर कार्यवाही की जानी चाहिए। लोगों को जानवरों को आवारा न छोड़ने के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाना चाहिए।

जानवरो को छुट्टा छोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।