March 10, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर। 
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर में रविवार को चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से हेल्थकॉन 2025 का आयोजन किया गया। एकीकृत स्वास्थ्य सेवा का भविष्य, सभी विषयों में तालमेल विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में प्रमुख चिकित्सा पेशेवरों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को स्वास्थ्य देखभाल में बदलाव में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अंतः विषय सहयोग और अनुसंधान की भूमिका का पता लगाने के लिए एक साथ लाया गया।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा कि भारत के पास विश्व स्तरीय चिकित्सक हैं, लेकिन यह अनुसंधान प्रकाशनों, डेटा विश्लेषण और तकनीकी प्रगति में पीछे है। उन्होंने कहा कि भारत को क्लिनिकल विशेषज्ञता से आगे बढ़ना चाहिए और एआई-आधारित चिकित्सा अनुसंधान को मजबूत करना चाहिए। संस्थानों को इस अंतर को पाटने के लिए एआई-संचालित निदान और उपचार समाधानों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने कहा कि सपने वे नहीं हैं जो हम नींद में देखते हैं, बल्कि वे हैं जो हमें सोने नहीं देते। युवा दिमागों को स्वास्थ्य देखभाल में सार्थक बदलाव लाने के लिए अनुसंधान को एक मिशन के रूप में लेना चाहिए।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल डॉ. ऋचा गिरी ने आयोजन टीम के प्रयासों को स्वीकार किया और स्वास्थ्य देखभाल में अंतः विषय शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया।
विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल विज्ञान में प्रगति ने चिकित्सा प्रौद्योगिकी में अभूतपूर्व नवाचारों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि  चिकित्सा का भविष्य केवल डॉक्टरों तक ही सीमित नहीं है, इसके लिए इंजीनियरों, डेटा वैज्ञानिकों और एआई विशेषज्ञों के साथ मजबूत सहयोग की आवश्यकता है।
इस कार्यक्रम में सारी चर्चा इस बात पर केंद्रित रही कि कैसे एआई और डेटा एनालिटिक्स वैश्विक स्वास्थ्य सेवा उद्योग को नया आकार दे रहे हैं, जिसमें देश एआई-संचालित डायग्नोस्टिक्स, प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स और वैयक्तिकृत चिकित्सा में भारी निवेश कर रहे हैं।
इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने बताया कि भारत में अनुसंधान संस्कृति की कमी, कमजोर दस्तावेजीकरण प्रथाओं और कम पेटेंट दरों ने इसे चिकित्सा नवाचारों में अग्रणी होने से रोक दिया है। उन्होंने भारतीय संस्थानों से वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए एआई-आधारित चिकित्सा अनुसंधान को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि एआई, बिग डेटा और रोबोटिक्स को एकीकृत करके, भारत चिकित्सा आत्मनिर्भरता हासिल कर सकता है और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सुलभ बना सकता है।