
संवाददाता
कानपुर। बिठूर से गंगा बैराज के रास्ते शेखपुर तक जाने वाली गंगा का पानी जांच में एक बार फिर विफल साबित हुआ है। मध्य में गंगा बिठूर, अपस्ट्रीम में कानपुर गंगा बैराज और डॉउन स्ट्रीम में शेखपुर गांव तीनों स्थानों पर गंगा के पानी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड व फीकल कोलीफॉर्म (मानव व मवेशियों के अपशिष्ट) की मात्रा अधिक मिली है।
उ. प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक यहाँ मानक से ज्यादा यह तत्व मिले हैं। अधिकारियों के अनुसार यह पानी सीधे पीने योग्य बिल्कुल नहीं है। सिर्फ नहाने के कार्य में लिया जा सकता है।
गंगा में लगातार गिर रहे नालों व घरों से बहाए जा रहे सीवेज की वजह से गंगा का पानी गंदा हो रहा है। कहीं-कहीं तो पानी इतना गंदा है कि वहां नहाया भी नहीं जा सकता है।
हरिद्वार से नरौरा होते हुए गंगा शिवराजपुर से बिठूर के रास्ते शहर में प्रवेश कर रही है। लेकिन, शहर के अंदर आते ही गंगा नदी का पानी दूषित हो जा रहा है।
9 जून 2025 को यूपीपीसीबी के अधिकारियों ने तीन स्थानों से गंगा के पानी के सैंपल लिए थे। रिपोर्ट के मुताबिक गंगा के पानी में पीएच वैल्यू, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, रासायनिक ऑक्सीजन डिमांड, कुल निलंबित ठोस की मात्रा मानक के अनुरूप नहीं मिली है।
वहीं फिकल कोलीफॉर्म भी गंगा नदी के पानी में जहर की तरह घुला मिला है। यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अजीत कुमार सुमन के मुताबिक गंगा के तीन स्थानों पर की गई जांच में बीओडी और फीकल कोलीफॉर्म बढ़ा हुआ मिला है।
सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी गंगा का पानी निर्मल नहीं हो पा रहा है। नगर निगम, जल निगम, प्राइवेट कंपनी केआरएमपीएल के अधिकारी व कर्मचारी सरकार की कोशिशों पर बट्टा लगा रहे हैं।
घरों का सीवेज, अनटैप्ड नाले और एसटीपी से बिना शोधन गिरते दूषित पानी ने गंगा को आचमन लायक भी नहीं छोड़ा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी इसको लेकर चिंता जताई है।