गंगा मेला की उमंग में पूरी की जाएगी 84 सालो से चली आ रही परम्परा।
आज़ाद संवाददाता
कानपुर। धूमधाम से गंगा मेला मनाने के लिए कानपुर तैयार है। इस कार्यक्रम की शुरुआत हटिया के रज्जन बाबू मैदान से होती है। 6 किमी के दायरे में लगभग 30 हजार हुरियारे जुलुस बनाकर नाचते-गाते चलेंगे। सुबह 9.30 बजे से शुरू होने वाले मेले में रंग के ठेले में सबसे आगे भैंसा ठेला होता है। पीछे-पीछे हाथी, घोड़े और ऊंट की सवारियां होंगी साथ छह लोडर छह ट्रेक्टर भी होंगे। मेला कमेटी के कार्यकर्ता मेला समिति की प्रिंट करी हुई एक ही रंग की टीशर्ट में होंगे। मेला कमेटी के महामंत्री विनय सिंह और संगठन मंत्री रोहित बाजपेई बताते है कि यह मेला पिछले 84 सालों से चला आ रहा है जो आज़ादी के दीवाने क्रांतिकारियों की देन है। यह अकेली होली है, जो राष्ट्रगान के बाद शुरू होती है। हर साल अनुराधा नक्षत्र में गंगा मेला का आयोजन किया जाता है।

कानपुर की इस खास परम्परा का इतिहास 1942 में ब्रिटिश शासनकाल से जुड़ा है, जब कानपुर के 7 क्रांतिकारियों को जेल में बंद किया गया था।
85 साल के सेठ मूलचंद कानपुर हटिया होली मेला महोत्सव कमेटी के संरक्षक हैं। उनके पिता सेठ गुलाब चंद्र 1942 में शहर के बड़े कारोबारियों में शुमार थे। सेठ गुलाब चंद ने ही हटिया से भैसा ठेला निकालने की परंपरा शुरू की थी।
सन 1942 में तत्कालीन डीएम लुईस ने होली पर पाबंदी लगा दी थी। उन्होंने कहा था कि होली नहीं खेली जाएगी। अंग्रेजों के आदेश का विरोध करते हुए सेठ गुलाब चंद अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ हटिया के रज्जन बाबू मैदान में होली खेल रहे थे कि अचानक चारों ओर से घोड़ों पर सवार अंग्रेजों ने मैदान घेर लिया।
अंग्रेजों को देख मैदान में गोरे आए, गोरे आए का शोर मचने लगा। इससे अचानक भगदड़ मच गई। बच्चे डर की वजह से घरों में छिप गए। अंग्रेजों ने पूछा- कौन होली खेल रहा है? इस पर सेठ गुलाब चंद सामने आए और कहा कि मैं होली खेल रहा हूं।
तब तत्कालीन कोतवाल पुलिसकर्मियों के साथ आ गया। बोला- यह सब बंद कर दो, नहीं तो तुमको जेल में बंद कर देंगे। इसका सेठ गुलाब चंद ने विरोध किया। अंग्रेज चारों ओर से घेराबंदी करते हुए गुलाब चंद को गिरफ्तार कर ले गए।
यह बात कानपुर में आग की तरह फैली और हटिया में लोग इकट्ठे होने लगे। इसके बाद अंग्रेजों ने और क्रांतिकारियों को भी गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया।
इसके विरोध में कलक्टरगंज, जनरलगंज, किराना बाजार, कपड़ा बाजार बंद हो गया। विरोध की खबर लंदन में महारानी विक्टोरिया तक पहुंची। अधिकारियों ने उन्हें बताया कि यह मामला और बढ़ेगा। इस पर महारानी ने उस वक्त के गर्वनर को क्रांतिकारियों को रिहा करने के लिए आदेश दिए। गिरफ्तारी के 7 दिन बाद सभी क्रांतिकारियों को रिहा कर दिया गया। जब क्रांतिकारी छोड़े गए, तब अनुराधा नक्षत्र था। ख़ुशी में कानपुर में एक बार फिर से होली का त्योहार मनाया गया।
आजाद हुए क्रांतिकारियों ने हटिया के रज्जन बाबू पार्क में आकर तिरंगा फहराया। शाम को गंगा में स्नान किया, जिसके बाद मेला लगाया गया। परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज भी पार्क में डीएम ध्वजारोहण कर क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देते हैं। फिर रंगों का ठेला निकाला जाता है, जिसको भैंसा खींचता है। गंगा मेला कानपुर के लोगों की आजादी की लड़ाई में भागीदारी का प्रतीक है।
रज्जन बाबू पार्क में एक पत्थर की शिला लगी है। इस पर सभी क्रांतिकारियों के नाम लिखे हैं। जेल से रिहा होने के बाद क्रांतिकारियों ने पार्क में झंडा फहराकर भारत माता की जय के नारे लगाए थे। यह पत्थर उनकी शहादत की निशानी है।
इस बार 84वें वर्ष रंगों का ठेला शहर में निकलेगा। गंगा मेला पर पार्क में लगी शिला पर पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी। पुलिस कमिश्नर, डीएम समेत सभी अधिकारी मौजूद रहेंगे। पुलिस बैंड पर राष्ट्रगान की धुन बजाई जाएगी। फिर हटिया से शुरू होकर यह भैंसा गाड़ी मेस्टन रोड पर पहुंचेगी। यहां मुस्लिम समुदाय के लोग जुलूस का गुलाल उड़ाकर और मिठाई खिलाकर स्वागत करेंगे।
हटिया के पार्क से उठने वाले इस जुलूस में मेला कमेटी की तरफ से हज़ारों लीटर रंग तैयार किए जाता हैं। गंगा मेला जुलूस में रंग खेलने के बाद शाम को मेला कमेटी की ओर से पार्क में बाल मेला लगेगा। इसमें बच्चों के लिए झूले, फूड स्टॉल लगेंगे जो निशुल्क होंगे और आतिशबाजी भी होगी।