
भूपेन्द्र सिंह
कानपुर। उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश के बीच 15 से 18 अक्टूबर को कानपुर के ग्रीन पार्क मैदान में रणजी ट्रॉफी का पहला मैच होने जा रहा है। रणजी ट्रॉफी के इस सत्र में एक ऐसा दृश्य देखने को मिलने वाला है, जो क्रिकेट प्रेमियों के लिए रोमांचक तो होगा ही — साथ ही यह सवाल भी खड़ा करता है कि वफादारी और पेशेवर कर्तव्य कब एक दूसरे के सामने खड़े हो जाते हैं।
लेकिन इस बीच खबर बन चुकी है कि आंध्र प्रदेश की टीम में शामिल सौरभ कुमार, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश से ही हैं, अपनी ही पुरानी टीम के खिलाफ उतरेंगे।
सौरभ कुमार का क्रिकेट सफर किसी प्रेरक कहानी से कम नहीं। बागपत, उत्तर प्रदेश के रहने वाले सौरभ ने बचपन से ही क्रिकेट के प्रति विशेष लगाव दिखाया। उन्हें शुरुआती दिनों में ट्रेनिंग के लिए 60 किमी का सफर करना पड़ता था, उन्होंने भारतीय वायु सेना के खेल कोटे की नौकरी तक छोड़ दी, ताकि वे उत्तर प्रदेश के लिए क्रिकेट खेल सकें।
घरेलू क्रिकेट में उन्होंने अपनी स्पिन गेंदबाजी और उपयोगी बल्लेबाजी के दम पर पहचान बनाई। 30 वर्ष की उम्र होते-होते उन्हें भारतीय टीम के स्क्वाड में भी स्थान मिला, जब इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के लिए चयन हुआ।
मीडिया में इस बात पर चर्चा हो रही है कि सौरभ के लिए यह मुकाबला कितना भावनात्मक होगा—जब वह उसी राज्य की टीम के खिलाफ उतरेंगे, जिसका रंग उनके लिए कभी गर्व था और जिसके लिए उन्होंने प्रारंभ किया था।
उनका आंध्र प्रदेश टीम ज्वाइन करना, खेल के अवसर, चयन की संभावना और कैरियर को आगे बढ़ाने की रणनीति के बीच संतुलन खोजने जैसा कदम माना जा रहा है।
लेकिन इस बदलाव को राज्य से बगावत कहना भी आसान नहीं—क्योंकि पेशेवर खिलाड़ियों को अपने कैरियर में निर्णय लेने होते हैं, और कई बार अवसर सीमित होते हैं।
रणजी ट्रॉफी की इस श्रृंखला में पूर्व खिलाड़ी की मौजूदगी एक अतिरिक्त दिलचस्पी जोड़ रही है। आंध्र प्रदेश बोर्ड को उम्मीद है कि सौरभ का अनुभव, रणनीति और मानसिक मजबूती टीम को बड़े मुकाबलों में सहारा दे सकती है। वहीं, उत्तर प्रदेश टीम मनोबल को मजबूत करने की कोशिश करेगी, कि अपनो के खिलाफ खेलने की भावना टीम को हतोत्साहित न करे।
खास तौर पर यह देखा जाएगा कि कप्तान और कोचिंग स्टाफ कैसे टीम को बनाए रखते हैं, और खिलाड़ी कैसे दबाव को संभालते हैं।
सौरभ ने घरेलू प्रतियोगिताओं में कई बार दमदार प्रदर्शन किया है। दलीप ट्रॉफी में सेंट्रल जोन की ओर से खेलते हुए उन्होंने एक मुकाबले में 11 विकेट लिए, और किसी समय टीम इंडिया की रणनीति में जगह बनाने का सशक्त संकेत दिया।
उनकी गेंदबाजी शैली, लेफ्ट-आर्म स्पिन और समयानुसार उपयोगी बल्लेबाजी ने उन्हें टीम चयनकर्ताओं के रडार पर बनाए रखा है।
उत्तर प्रदेश टीम, जो अपने घरेलू मैदान की पहचान को बनाए रखना चाहती है, इस मुकाबले में मानसिक रूप से मजबूत नजर आने की कोशिश करेगी। कोचों को यह सावधानी बरतनी होगी कि टीम का फोकस पुराने खिलाड़ी की भावना पर न चले बल्कि प्रदर्शन पर केंद्रित रहे।आंध्र प्रदेश टीम सौरभ के समर्थन में रणनीति बना सकती है — जैसे उन्हें ऐसी पिच पर खिलाना, जहां स्पिन का असर हो, या ऐसे ओवर देना जहाँ टीम को बढ़ावा मिले।
क्रिकेट केवल बल्ले और गेंद की जंग नहीं, बल्कि खिलाड़ियों की मानसिक और भावनात्मक जंग का भी मैदान है। इस मुकाबले में सौरभ कुमार का नाम सबकी निगाहों में रहेगा — न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत संघर्ष कहानी के कारण, बल्कि इसलिए भी क्योंकि यह मुकाबला उनकी कैरियर और पहचान दोनों का सवाल बन सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पुराना घर उन्हें जीत देगा, या नई टीम उसकी रंगत से झूमेगी। जीत हार की परवाह किए बिना, यह मुकाबला दर्शकों को लंबे समय तक याद रहने वाला है।