September 19, 2024

कानपुर। कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन हादसे की जांच में उसको डिरेल करने के कुछ साजिशन सबूत मिले हैं। लखनऊ से पहुंची फोरेंसिक टीम ने रेलवे ट्रैक, स्लीपर और पत्थर की जांच के बाद उस सीन को रिक्रिएट किया। जांच में इंजन से टक्कर के बाद सिलेंडर 71 बार ट्रैक से टकराने की बात सामने आयी। फोरेंसिक टीम ने दूसरे सिलेंडर को ट्रैक पर रखकर पूरी घटना को दोहराया और इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की। फोरेंसिक टीम के एक्सपर्ट ने बताया- इंजन से टक्कर के बाद सिलेंडर करीब 50 मीटर तक ट्रैक से टकराता रहा। जब यह ट्रैक और इंजन के बीच फंसा, तब झटके से दूर झाड़ियों में जा गिरा गनीमत ये रही कि वह फटा नहीं। टीम को ट्रैक के स्लीपर में 71 पॉइंट पर सिलेंडर का पेंट, टकराव के निशान मिले हैं। इसके अलावा स्पॉट से 10 सैंपल कलेक्ट किए गए हैं। ट्रैक के आसपास की मिट्टी में पैरों के निशान मिले। जिस बैग में माचिस और बारूद मिला, उससे फिंगर प्रिंट को कलेक्ट कर जांच के लिए भेजा गया है। फोरेंसिक एक्सपर्ट ने ट्रैक पर 71 जगह डैमेज पॉइंट चिन्हित किए। सिलेंडर की टकराव से स्लीपर में यह डैमेज हुआ है। एक्सपर्ट की मानें तो कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन से टक्कर के बाद सिलेंडर ट्रैक की सीध में तेज रफ्तार से निकला। टक्कर वाली जगह से सिलेंडर चौथे, 7वें, 12वें, 13वें, 14वें, 27वें, 39वें, 48वें और 50वें स्लीपर से टकराया। इनमें टकराने के निशान मिले हैं यह सभी निशान स्लीपर के बाएं तरफ हैं।इसके बाद सिलेंडर की दिशा बदल गई। फिर यह 59वें, 60वें और 70वें स्लीपर के दाएं तरफ टकराया। 71 वें स्लीपर के टकराव के बाद सिलेंडर हवा में उछला और 7 स्लीपर छोड़ ट्रैक के दाहिनी ओर झाड़ियों में जा गिरा।एक्सपर्ट का मानना है कि सिलेंडर ट्रेन के साथ घिसटता नहीं गया, नहीं स्लीपर बुरी तरह डैमेज होते। हालांकि, टकराने से इनमें मामूली टूट हुई है। टीम ने यह भी बताया कि ट्रैक पर सिलेंडर को खड़ा कर के रखा गया था।फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम ने साजिश के पीछे की मंशा के लिए इस सवाल पर भी पड़ताल की है। एक्सपर्ट ने देखा कि अगर सिलेंडर में ब्लास्ट होता तो यह कितना बड़ा ट्रेन हादसा होता? मौके से सैंपल कलेक्ट किए गए हैं। इन्हें लैब में जांच के लिए भेजा गया है। फॉरेंसिक टीम ने करीब 300 मीटर तक मैग्नीफाइंग लेंस से जांच की। टीम ने ह्यूमन गूजबंप्स यानी आदमी के रोंगटे तलाशे। टीम ने कुछ फुट प्रिंट के सैंपल कलेक्ट किए हैं। जिस वक्त कालिंदी एक्सप्रेस को डिरेल करने की साजिश हो रही थी। उससे पहले ट्रैक के बगल के गुजर रहे अलीगढ़-कानपुर हाईवे के टोल प्लाजा पर 2 संदिग्ध लड़के सीसीटीवी  में देखे गए। ट्रेन हादसे के ठीक पहले से दोनों हाईवे पर मौजूद थे। ट्रेन हादसा होने के बाद बाइक पर बैठे और वहां से निकल गए। कानपुर से अनवरगंज-कासगंज रूट पर 8 सितंबर की रात कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन को डिरेल करने की साजिश रची गई। मामले के खुलासे के लिए कानपुर पुलिस की 6 टीमें, कानपुर और लखनऊ की फोरेंसिक की टीम, एलआईयू, आईबी, एनआईए, जीआरपी और आरपीएफ  लगी है। इन टीमों में 300 लोग हैं। 4 दिनों में 54 पुलिस अधिकारी स्पॉट का मुआयना कर चुके हैं। पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार के साथ रेलवे के अधिकारियों ने भी बड़ी बैठक करके पूरे मामले को समझा है। रेलवे ने संबंधित जानकारी पुलिस अफसरों से साझा की है। पुलिस और रेलवे के अफसरों के सहयोग से कानपुर पुलिस कमिश्नर पूरे मामले का खुलासा करने का प्रयास कर रहे हैं। पुलिस कमिश्नर आवास पर करीब डेढ़ घंटे तक यह बैठक चली और जांच को लेकर अहम बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की गई है। पुलिस और जीआरपी व आरपीएफ जल्द ही सूनसान इलाकों वाले रेलवे ट्रैक पर फुट पेट्रोलिंग का भी ब्लूप्रिंट तैयार करने के लिए कहा है।