November 26, 2025

संवाददाता

कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में सिख पंथ के नौवें गुरु, धर्म, राष्ट्र एवं मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का अप्रतिम बलिदान देने वाले ‘हिन्द दी चादर’ श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज के 350वें बलिदान दिवस पर एक ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य गुरु महाराज के सनातन धर्म की रक्षा हेतु किए गए अतुलनीय त्याग, भारतीय संस्कृति को सुरक्षित रखने की उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता और राष्ट्रभक्ति के अमर संदेश को युवा वर्ग तक पहुंचाना था। 

व्याख्यान की शुरुआत गुरु महाराज के जीवन, उनके साहसिक संघर्ष और मुगल आक्रांताओं के विरुद्ध खड़े होने की प्रेरक गाथा को दर्शाती डॉक्युमेंट्री के प्रदर्शन से हुई। इस दृश्य प्रस्तुति ने प्रतिभागियों को इतिहास के उस दौर से रूबरू कराया, जब कश्मीरी हिन्दुओं की आस्था, पगड़ी और अस्तित्व की रक्षा के लिए गुरु महाराज ने अपने प्राणों का बलिदान दिया। 

विद्यार्थियों ने इसे भारतीय संस्कृति, धार्मिक स्वतंत्रता और राष्ट्र-धर्म की रक्षा की जीवंत स्मृति के रूप में अनुभव किया।

मुख्य अतिथि के रूप में शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी सरदार जितेन्द्र सिंह अरोड़ा ने सिख परम्परा की मूल भावना सेवा, साहस और सत्य का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे आदर्श श्री गुरु नानक देव जी महाराज से प्रारम्भ हुई यह महान परम्परा समाज को सही दिशा देने का कार्य करती रही है। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर महाराज का बलिदान भारतीय अस्मिता की सबसे उज्ज्वल धरोहर है, जिसने उस दौर में मुगल अत्याचारों से भयभीत समाज को अदम्य साहस और आत्मबल प्रदान किया। 

जितेंद्र सिंह अरोड़ा ने युवाओं से नाम, दान और सेवा को जीवन में अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि राष्ट्र की वास्तविक शक्ति जागरूक और कर्तव्यनिष्ठ युवा ही होते हैं। उन्होंने इस व्याख्यान को भारतीय संस्कृति की रक्षा, सामाजिक समरसता, राष्ट्रप्रेम और मानवीय मूल्यों के पुनःस्मरण का प्रेरक अवसर बताया।

कार्यक्रम में कुलसचिव राकेश कुमार मिश्रा ने गुरु महाराज को धार्मिक सहिष्णुता, मानवता और राष्ट्र-कर्तव्य का प्रेरक प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ऐसे आयोजनों के माध्यम से विद्यार्थियों में सांस्कृतिक चेतना, सामाजिक उत्तरदायित्व और राष्ट्रप्रेम की भावना को मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस आयोजन से युवा पीढ़ी में यह संदेश और स्पष्ट हुआ कि राष्ट्रभक्ति भावना से आगे बढ़कर जीवन का कर्तव्य है। सीएसजेएमयू का यह प्रयास विश्वविद्यालय की उस प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है, जिसके तहत वह विद्यार्थियों में भारतीय सांस्कृतिक विरासत, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव के प्रति सम्मान और जागरूकता विकसित करने की दिशा में लगातार कार्य कर रहा है।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सहायक विभागाध्यक्ष डॉ. ओम शंकर गुप्ता ने कहा कि सेवा की भावना भारतीय समाज को जोड़ने वाला सबसे बड़ा सूत्र है और गुरु परम्परा इस मूल्य को सर्वोच्च स्थान देती है। 

कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष एवं मीडिया प्रभारी डॉ. दिवाकर अवस्थी ने किया। उन्होंने अपने प्रभावी संचालन में गुरु महाराज के जीवन-आदर्शों को रेखांकित करते हुए कहा कि भारतीय शिक्षा तभी सार्थक होती है जब वह विद्यार्थियों में ज्ञान के साथ संस्कार, कर्तव्यबोध और राष्ट्र-निष्ठा का विकास करे।

कार्यक्रम में डॉ. योगेन्द्र कुमार पाण्डेय, डॉ. रश्मि गौतम, डॉ. जितेन्द्र डबराल, डॉ. हरिओम कुमार, डॉ. ऋचा शुक्ला, डॉ. सर्वेश मणि त्रिपाठी, प्रेम किशोर शुक्ला, सागर कनौजिया व शालिनी शुक्ला सहित विद्यार्थियों, शोधार्थियों तथा विभिन्न संकाय सदस्यों की सहभागिता रही।