
संवाददाता
कानपुर। इंडियन नेशनल एकेडमी आफ इंजीनियरिंग ने देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ संयुक्त रूप से आयोजित वार्षिक प्रमुख कार्यक्रम इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 2025 का सफल आयोजन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में किया।
यह कॉन्क्लेव श्रृंखला का बारहवां संस्करण था, जिसमें देशभर के प्रतिष्ठित इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया।
इस वर्ष के कॉन्क्लेव की दो मुख्य थीमें थीं, पहली – इंटेलिजेंट सिस्टम्स, जिसका समन्वय आईआईटी कानपुर के विद्युत अभियंत्रण विभाग के प्रो. आदित्य के. जगन्नाथम ने किया और दूसरी – इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स, जिसका समन्वय आईएनएई के उपाध्यक्ष, पूर्व निदेशक आईआईटी जोधपुर एवं वर्तमान में आईआईटी दिल्ली के प्रो. संतनु चौधुरी ने किया।
कॉन्क्लेव की सह-अध्यक्षता आईएनएई के अध्यक्ष एवं भारतीय अंतरिक्ष संघ के चेयरमैन, एलएंडटी इम्प्लॉई ट्रस्ट के ट्रस्टी, डिफेंस एंड स्मार्ट टेक्नोलॉजी, लॉर्सन एण्ड टुब्रो लिमिटेड के पूर्व पूर्ण कालिक निदेशक तथा एलएंडटी सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के पूर्व निदेशक जे.डी. पाटिल और आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. विक्रम साराभाई डिस्टिंग्युस्ड प्रोफेसर, इसरो, कुलाधिपति, चाणक्य विश्वविद्यालय, बेंगलुरु, पूर्व सचिव, अंतरिक्ष विभाग एवं पूर्व अध्यक्ष, इसरो, डॉ. एस. सोमनाथ, ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि कॉन्क्लेव के लिए चुने गए साइबर-फिजिकल सिस्टम और इंटेलिजेंस इंजीनियरिंग के विषय सरकार के मिशन मोड के हिसाब से हैं और इसके अच्छे नतीजे भी दिख रहे हैं। हम सभी साइबर फिजिकल सिस्टम का हिस्सा हैं। चंद्रयान साइबर फिजिकल सिस्टम का एक बेहतरीन उदाहरण है, जिसमें चंद्रयान 2 के लिए तैयार किए गए सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करके चंद्रयान 3 के सफल लॉन्च के लिए इस्तेमाल किया गया। उन्होंने आगे बताया कि साइबर-फिजिकल सिस्टम्स चिकित्सा, विनिर्माण और अन्य अनेक क्षेत्रों में अपार संभावनाएं रखते हैं।
आईएनएई के प्रेसिडेंट जे.डी. पाटिल ने अपने प्रेसिडेंशियल एड्रेस में आईएनएई के विजन और विकास और इंजीनियर्स कॉन्क्लेव के महल्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह कॉन्क्लेव इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि कैसे एकेडेमिया और इंडस्ट्री मिलकर पॉलिसी बना सकते हैं, इंजीनियरिंग एजुकेशन पर असर डाल सकते हैं और राष्ट्र निर्माण के लिए स्वदेशी इनोवेशन को बढ़ावा दे सकते हैं।
अपने संबोधन में, आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने बताया कि देश की प्रगति के लिए शिक्षा, शोध और उद्योग के बीच मजबूत जुड़ाव जरूरी है। उन्होंने बताया कि संस्थान में साइबर-फिजिकल सिस्टम्स* से जुड़ी कई गतिविधियां चल रही हैं, जिनमें नए शोध कार्यक्रम, तकनीकी जनशक्ति का प्रशिक्षण, स्टार्टअप्स को सहयोग और मेंटरिंग कार्यक्रम शामिल हैं।
समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ. पी.एस. गोयल, पूर्व अध्यक्ष, आईएनएई ने की, जिसमें दोनों थीम कोऑर्डिनेटर्स ने तकनीकी सत्रों का सार प्रस्तुत किया और नीति निर्माण एवं अनुसंधान को दिशा देने वाले ठोस सुझाव साझा किए।
कॉन्क्लेव ने पुनः यह पुष्टि की कि आईएनएई भारत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने तथा राष्ट्रीय महत्व की समस्याओं के समाधान हेतु समर्पित है। इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 2025 से प्राप्त सुझाव और सिफारिशें संबंधित सरकारी विभागों, उद्योगों और अनुसंधान एजेंसियों को साझा की जाएंगी, ताकि इंटेलिजेंट सिस्टम्स और साइबर-फिजिकल सिस्टम्स के क्षेत्र में स्वदेशी प्रौद्योगिकी को और मजबूती दी जा सके, जिससे भारत तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर और सशक्त बन सके।






