आज़ाद समाचार की ओर से सभी पाठकों को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। देश-विदेश में जन्माष्टमी के पावन पर्व की तैयारियां चल रही है। आज मध्यरात्रि सभी के घर कान्हा प्रकट होंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग के भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागृह में हुआ था। हर वर्ष भाद्रपद की अष्टमी तिथि को बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। हमारे धर्मशास्त्रों में चार रात्रियों का विशेष महत्त्व बताया गया है । दीपावली जिसे कालरात्रि कहते है , शिवरात्रि महारात्रि है , होली अहोरात्रि है तो कृष्ण जन्माष्ठमी को मोहरात्रि कहा गया है। इस रात में योगेश्वर श्री कृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मन्त्र जपते हुए जागने से संसार की मोह-माया से आसक्ति हटती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से पूजा, उपवास और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन कुछ विशेष वस्तुएं घर लाने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन इन वस्तुओं को घर लाने से भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मिसरी से मीठे नंदलाल के बोल,
इनकी बातें हैं सबसे अनमोल,
जन्माष्टमी के इस पावन अवसर पर दिल खोलकर जय श्रीकृष्णा बोल।
तुलसी को भगवान विष्णु की अत्यंत प्रिय माना जाता है और श्रीकृष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता है। इसलिए, जन्माष्टमी के दिन तुलसी का पौधा घर लाने से भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है। तुलसी घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और इसे धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। तुलसी के पत्तों का प्रयोग भगवान की पूजा में किया जाता है, जिससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
कृष्ण आराधना में लीन हो जाओ,
दिल की हर इच्छा पूरी होगी,
प्रेम से श्री कृष्ण का नाम जपो।
मोर पंख भगवान श्रीकृष्ण के मस्तक की शोभा बढ़ाते हैं। इसे सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जन्माष्टमी के दिन मोर पंख को घर के मंदिर में रखने से घर में शुभता का वास होता है। यह भी माना जाता है कि मोर पंख को घर के मुख्य द्वार पर लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता और घर में शांति बनी रहती है।
मुबारक हो आप सभी को जन्माष्टमी का त्योहार,
कृष्ण की श्रद्धा, कृष्ण में ही संसार,
कृष्ण की महिमा, कृष्ण का प्यार।
शंख को अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। श्रीकृष्ण के प्रिय पाञ्चजन्य शंख की ध्वनि से वातावरण शुद्ध और सकारात्मक होता है। जन्माष्टमी के दिन शंख को घर लाना और नियमित रूप से उसका प्रयोग करना, धन, सुख और समृद्धि के लिए शुभ माना गया है। शंख की ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और घर में सकारात्मकता का संचार होता है।
माखनचोर नन्द किशोर,
बांधी जिसने प्रीत की डोर,
हरे कृष्ण हरे मुरारी,पूजती जिन्हें दुनिया सारी,
आओ उनके गुण गाएं,सब मिलकर जन्माष्टमी मनाएं।
भगवान कृष्ण का बाल्यकाल मिट्टी से गहरा नाता जुड़ा हुआ है। वे गोपियों से दही और मक्खन चुराने के लिए जाने जाते थे और उनके जीवन में मिट्टी का विशेष महत्व था। जन्माष्टमी के दिन मिट्टी के बर्तन को घर लाना और उसमें भगवान श्रीकृष्ण का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से परिवार में धन-धान्य की वृद्धि होती है और घर में खुशहाली आती है।
जिसने दुनिया को प्रेम का रास्ता दिखाया,
खुशी मनाओ उसके जन्मदिन की,
बंसी बजाकर जिसने नचाया,
माखन चुराकर जिसने खाया।
बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे वे अपनी मधुर ध्वनि से गोपियों और ग्वालों को मोह लेते थे। जन्माष्टमी के दिन घर में बांसुरी लाना शुभ माना जाता है। बांसुरी घर में सुख-शांति और प्रेम का वातावरण बनाती है। इसे घर के मंदिर में रखने से परिवार में सद्भाव और सकारात्मकता का वास होता है।
माखन का कटोरा, मिश्री का थाल,
मिट्टी की खुशबू,बारिश की फुहार,
राधा की उम्मीदें, कृष्ण का प्यार,
मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्योहार।
गाय के गोबर को पवित्र और शुभ माना जाता है। जन्माष्टमी के दिन गाय के गोबर से बने दीपक को घर में लाने और जलाने से वातावरण पवित्र होता है। इसके साथ ही, यह भगवान कृष्ण को भी अत्यंत प्रिय है और घर में इसकी उपस्थिति से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे परिवार में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।