December 7, 2025

संवाददाता
कानपुर। 
दीपावली के बाद अब छठ पर्व की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसे देखते हुए सबसे पहले नहरों की साफ-सफाई की जा रही है। सीटीआई नहर का पानी नाले की तरह काला हो चुका है। करीब एक सप्ताह से सीटीआई नहर की सफाई चल रही है, लेकिन न पानी साफ हो सका और न ही कूड़ा पूरी तरह से निकल पा रहा है। अब तक टनों पॉलीथीन और कूड़ा नहर से निकाला जा चुका है, लेकिन अभी भी नहर में गंदगी बनी है।
छठ पर्व आने के बाद अब जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग ने नहरों के सफाई की सुध ली है। इसी क्रम में सीटीआई नहर की भी साफ-सफाई की जा रही है। साउथ सिटी में गुजैनी से लेकर दबौली, सीटीआई और सचान गेस्ट हाउस पर घाट में पूजा की जाती है। नहर की बीते एक सप्ताह से सफाई की जा रही है, लेकिन इसमें टनों पॉलीथीन और कूड़ा निकल रहा है। एक सप्ताह से ज्यादा समय से सफाई होने के बाद भी अभी तक नहर पूरी तरह से साफ नहीं हो सकी है।
सीटीआई, शास्त्री नगर, कल्याणपुर, अर्मापुर और अन्य प्रमुख स्थानों पर स्थित नहरों और तालाबों की सफाई युद्ध स्तर पर की जा रही है। घाटों की सीढ़ियों की मरम्मत, जल निकासी और प्रकाश व्यवस्था का काम भी अंतिम चरण में है।
भोजपुरी महासभा केंद्रीय छठ पूजा समिति के अध्यक्ष संतोष गहमरी ने बताया कि, यह भोजपुरिया समाज का सबसे बड़ा पर्व है। इसे लेकर पूरे साल श्रद्धालु प्रतीक्षा करते हैं। यह पर्व केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, अनुशासन और आस्था का अनोखा संगम है।
उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी ने घाटों का निरीक्षण किया है और आश्वासन दिया है कि अगले दो दिनों के भीतर सभी घाटों की सफाई पूरी हो जाएगी।
सिर्फ घाट ही नहीं, घरों में भी सूप, दौरी, थाली, बांस की टोकरी और मिट्टी के दीयों की खरीदारी जोरों पर है। छठ व्रती महिलाएं अब अपने घरों की सफाई, रसोई की विशेष व्यवस्था और पूजन सामग्री जुटाने में लगी हुई हैं। घरों में गुड़, चावल, गेहूं, नारियल और मौसमी फलों की खुशबू वातावरण को सुगंधित कर रही है। बहुत से लोग अपनी-अपनी बेदी सजाने का काम भी शुरू कर चुके हैं।
26 अक्टूबर को खरना के दिन खास महत्व होता है, जब व्रती दिन भर निर्जल उपवास रखकर शाम को गुड़ की खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाकर ग्रहण करती हैं और उसी प्रसाद को समाज के अन्य लोगों में भी बांटा जाता है। खरना के बाद शुरू होता है छठ का 48 घंटे का निर्जल व्रत, जो शक्ति, संकल्प और श्रद्धा की पराकाष्ठा मानी जाती है।
जिलाधिकारी और नगर निगम अधिकारियों द्वारा घाटों का निरीक्षण किया गया है। छठ पूजा के दौरान प्रकाश, साफ-सफाई, मेडिकल सुविधा, गोताखोरों की तैनाती, बैरिकेडिंग और भीड़ नियंत्रण को लेकर विशेष व्यवस्था की जा रही है। समिति ने प्रशासन से यह मांग भी की है कि हर घाट पर मोबाइल टॉयलेट और साफ पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
छठ पूजा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह प्रकृति, नदी, सूर्य और जल स्रोतों के प्रति आभार प्रकट करने का पर्व भी है। व्रती महिलाएं कठिन नियमों का पालन करती हैं, व्रत रखती हैं, नंगे पांव चलकर घाटों तक जाती हैं। उगते व डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
छठ अब केवल भोजपुरिया समाज तक सीमित नहीं रहा। कानपुर जैसे औद्योगिक शहर में भी यह पर्व अब सामूहिकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक बन चुका है। 

प्रत्येक वर्ष यहां हजारों लोग मिलकर घाट सजाते हैं, लाइटिंग करते हैं। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और युवा सभी इस पर्व से जुड़कर संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।