आ स. संवाददाता
कानपुर। नगर के ह्रदय रोग संस्थान में एक 65 साल की बुजुर्ग महिला के दिल को सिलकर उसकी जान बचा ली गई। ये जटिल ऑपरेशन करीब 2 घंटे तक चला। इस ऑपरेशन में डॉक्टरों की एक खास टीम ने ओपन हार्ट सर्जरी की। ये ऑपरेशन काफी जटिल था, जिसके कारण मरीज की जान का खतरा अधिक था।
एक हफ्ते पूर्व बिल्हौर निवासी 65 साल की बुजुर्ग महिला कार्डियोलॉजी अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंची थी। यहां पर सीनियर सर्जन डॉ. अवधेश शर्मा के अंडर में मरीज को भर्ती किया गया था।
डॉ. शर्मा ने बताया कि मरीज को मेजर हार्ट अटैक पड़ा था। जब मरीज अस्पताल पहुंची तो उसका ब्लड प्रेशर एकदम लो था, उसे रिकॉर्ड कर पाना भी मुश्किल हो रहा था। इसके बाद जब जांच की गई तो पता चला कि दिल के बीच में एक दीवार में छेद हो गया है। इसकी वजह से अच्छा खून और गंदा खून एक ही जगह पर एकत्र हो गया था। इसे मेजर अटैक कहते हैं।
डॉ. अवधेश शर्मा ने बताया कि ये ऑपरेशन काफी जटिल होता है। जरा भी चूक हुई तो नस कटने का खतरा रहता है और मरीज की जान चली जाती है। इसलिए इस ऑपरेशन को करना हमारी टीम के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। ये ऑपरेशन करीब 2 घंटे तक चला। इसके बाद मरीज को 48 घंटे तक वेंटीलेटर पर रखा गया। अब मरीज पूर्णतः स्वस्थ है ।
डॉ. शर्मा ने बताया कि हृदय में चार कक्ष होते हैं। बायां निलय, दायां निलय, दायां अलिंद और बायां अलिंद जो पंपिंग को जारी रखने में मदद करते हैं। ये सब हृदय की दीवार के सहारे संभव होता है। इसके बीच में एक दीवार होती है, जिसमें कि एक तरफ साफ खून रहता है और दूसरी तरफ गंदा खून रहता है। मगर जब इस दीवार में छेद हो जाता है तो गंदा खून दोनों तरफ आ जाता है। इस परिस्थिति में मरीज को अटैक पड़ जाता है। ये अटैक बहुत खतरनाक होता है। इसमें मरीज की ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ती हैं।
डॉ. शर्मा ने बताया कि जिस तरह से एक छोटे बच्चे के दिल में छेद होने पर उसका ऑपरेशन कर उसे बंद करते है, उसी तरह से हमने इस ऑपरेशन को भी किया। इसमें हम लोगों ने डिवाइस थोड़ा बड़ा लिया और लेजर विधि के माध्यम से उसके दिल के छेद को बंद कर दिया है।