संवाददाता
कानपुर। किसानों की मेहनत और फसल की सुरक्षा को लेकर डीएम ने बड़ी कार्रवाई की है। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने नकली कीटनाशक बेचने और बनाने वालों पर शिकंजा कसते हुए सरसौल के विक्रेता और हरियाणा स्थित निर्माता कंपनी के खिलाफ अभियोजन की अनुमति दी है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने 28 अप्रैल 2025 को सरसौल स्थित मेसर्स ओम कीटनाशक केन्द्र से लैम्बडासायहेलोथ्रिन 100 मिली पैकिंग, बैच संख्या एस एफ 2409010 का नमूना लिया। यह उत्पाद हरियाणा के जींद जिले की मोती इन्सेक्टिसाइड्स प्रा. लि. द्वारा निर्मित था। नमूना लखनऊ प्रयोगशाला भेजा गया, जहां 14 मई 2025 को आई रिपोर्ट में सक्रिय तत्व केवल 0.50% पाया गया और नमूना मिसब्राण्डेड घोषित हुआ।
इसके बाद न्यायालय के आदेश पर नमूना केंद्रीय कीटनाशी प्रयोगशाला, फरीदाबाद भेजा गया। वहां भी 9 सितम्बर 2025 को आई रिपोर्ट में इसे मिसब्राण्डेड ही पाया गया।
दोनों प्रयोगशालाओं की रिपोर्ट के आधार पर विक्रेता ओमकार उत्तम और निर्माता कंपनी मोती इन्सेक्टिसाइड्स प्रा. लि. जांच में दोषी पाए गए हैं। कीटनाशी अधिनियम 1968 की धारा 29(1)(ए) के अनुसार मिसब्राण्डेड कृषि रक्षा रसायनों का निर्माण, भंडारण और विक्रय एक दंडनीय अपराध है। अब सक्षम न्यायालय में इनके खिलाफ अभियोजन की कार्यवाही होगी।
जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि किसानों को ठगने वालों पर कठोरतम कार्रवाई होगी। नकली और मिलावटी कृषि रक्षा रसायन न केवल फसल की पैदावार को नुकसान पहुँचाते हैं बल्कि किसानों की मेहनत पर भी पानी फेरते हैं। प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि हर किसान तक गुणवत्तापूर्ण और प्रमाणित कीटनाशक ही पहुँचे। साथ ही उन्होंने किसानों से कृषि उत्पादों में किसी भी तरह की मिलावट की सूचना जिला प्रशासन को देने का अनुरोध भी किया।




