कानपुर। कानपुर नगर में स्थित दशानन महाराज के मन्दिर में इस बार भी भक्तों का तांता लगा रहा जहां भक्तों ने उनके दर्शन कर उनसे ज्ञानवर्धन का आशीर्वाद लेने का काम किया। शिवाला स्थित कैलाश मन्दिर परिसर में स्थापित इस मन्दिर में दस विद्याओं में निपुण राक्षसराज पहरेदार के रूप में बैठे हैं। दशहरे के दिन मंदिर के पट खुलते ही लोगों ने उनकी पूजा और आरती की। पूजा और आरती के बाद रावण के दर्शन का कार्यक्रम शुरू हुआ। मंदिर के पुजारी ने रावण को सुगंधित जल से स्नान कराया। जनेऊ (ब्राह्मण द्वारा पहना जाने वाला पवित्र धागा) समारोह भी हुआ। लोगों ने रावण के चरणों में दीप जलाए, इस विश्वास के साथ कि उनकी मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी होंगी। सुबह से शुरू हुआ रावण के दर्शन का कार्यक्रम तब तक चलता रहा, जब तक भगवान राम ने रावण का वध नहीं कर दिया, बतातें चलेंकि दशानन का यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है जो कि साल में सिर्फ दशहरे के दिन 12 घंटे के लिए खोला जाता है और बड़ी संख्या में यहां शहर के आसपास जिलों से भी भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि दशानन के इस मंदिर में शक्ति और बुद्धि के प्रतीक के स्वरूप में रावण की पूजा होती है और श्रद्धालु तेल के दिए जलाकर मन्नतें मांगते हैं। वही परंपरा के अनुसार इस बार भी सुबह सात बजे मंदिर के कपाट खोले गए और रावण की प्रतिमा का अभिषेक श्रृंगार किया गया। इसके बाद आरती की गयी। मन्दिर के पुजारी के अनुसार जब रावण के मंदिर की 1800 संवत में स्थापना हुई तो उससे पहले कैलाश महादेव और माता आदिशक्ति की स्थापना हुई थी जिसके बाद रावण को यहां उनके पहरेदार के रूप में स्थापित किया गया था।