आ स. संवाददाता
कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ में बीते कुछ सालों से बाहरी लोगों को नियुक्त कर उनसे सेवांए लेने का नया प्रचलन शुरु कर दिया गया है। इस प्रचलन से प्रदेश क्रिकेट संघ को फायदा तो नही हो सका बल्कि नुकसान का सामना अधिक करना पडा है। जिसका परिणाम प्रदेश की सीनियर क्रिकेट टीम बेहतर करने के बजाए बदतर प्रदर्शन करती नजर आ रही है। बीते लगभग 5 सालों से सीनियर टीम के लिए बाहर के प्रदेशों से आकर क्रिकेटरों को प्रशिक्षित करने वाले कई प्रशिक्षक टीम का मनोबल बढाने में सफल नही हो सके हैं। भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा् रहे चुके सुनील जोशी दो बार और रणछोडदास की भूमिका में रहे विजय दाहिया एक बार रणजी ट्रॉफी समेत कई अन्य बडी घरेलू प्रतियोगिताओं में खास कमाल करने में नाकामयाब रहे। सुनील जोशी तो टीम के भीतर खिलाडियों में जोश भरने में भी कामयाब नही हो सके। इस सब के बाद भी यूपीसीए ने टीम के प्रदर्शन को सुधारने के लिए सारे जतन कर डाले लेकिन इसके बावजूद कुछ भी हाथ नहीं लगा। यूपीसीए घरेलू मैचों में मिल रही लगातार पराजयों की असली वजह को तलाशने में जुट गया है, माना यह जा रहा है कि संघ उसके लिए एक जांच कमेटी का गठन भी कर सकता है। सूत्रों से यह जानकारी भी मिल रही है यूपीसीए सुनील जोशी के बतौर कोच उनके प्रदर्शन का आकलन कर रहा है। संघ के भीतर यह चर्चा भी है कि रणजी सत्र के खत्म होते ही मुख्या प्रशिक्षक सुनील जोशी पर कोई कड़ा फैसला ले सकता है। 2019-20 के सीजन में पूर्व भारतीय स्पिनर सुनील जोशी को एक साल के लिए उत्तर प्रदेश की घरेलू टीम का मुख्य प्रशिक्षक नियुक्त किया था और टीम नॉकआउट तक पहुंची थी। इस दौरान कई बार प्रशिक्षक और कप्तान भी बदले गये इसके बावजूद रणजी के फलक पर यूपी की टीम पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुई है। दूसरी तरफ यूपीसीए लगातार बाहरी कोच पर विश्वास जता रहा है। इसी रणनीति के तहत सुनील जोशी को यूपी टीम का कोच बनाया गया था। उन्हें 2024 में फिर से दोबारा प्रशिक्षक बना दिया गया और अभी तक यूपी के मुख्य0 प्रशिक्षक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। यूपीसीए सुनील जोशी पर सालाना 50 लाख रुपए की भारी भी रकम खर्च कर रहा है लेकिन अब तक वो कोई करिश्मा करने में सफल नही हो सके हैं। प्रशिक्षक सुनील जोशी के होने से यूपी टीम को कोई खास फायदा नहीं हुआ। उनके प्रदेश से बाहरी प्रशिक्षक के तौर पर होने के बावजूद भी बेहतर परिणाम सामने नही आ रहे हैं जबकि इससे पहले यूपी के प्रशिक्षक रह चुके ज्ञानेंद्र पांडेय ने इससे बेहतर परिणाम दे चुके हैं। बीते दो साल पूर्व उनके टीम को छोडे जाने के बाद दिल्ली के विजय दाहिया को प्रदेश की टीम का प्रशिक्षक नियुक्त किया गया था वह भी कुछ खास कमाल तो नही कर पाए थे अलबत्ताब वह टीम को बीच मंझदार छोडकर चलते बने थे । सुनील जोशी की निगरानी में यूपी की टीम मौजूदा सत्र में अब तक एक भी जीत हासिल नहीं कर सकी और सत्र के अंतिम दो मैच उसे बिहार और मध्य प्रदेश जैसी कमजोर टीम से खेलना है। ऐसे में उम्मीद है यूपी की टीम सत्र का अंत से जीत के साथ करना चाहेगी इसकी तैयारियों के लिए यूपीसीए ने एक प्रशिक्षण शिविर भी इकाना स्टेडियम में आयोजित किया है ताकि खिलाड़ी फिर से लय पा सके।बतातें चलें कि प्रदेश की टीम बाहरी प्रशिक्षकों के भरोसे साल 2009 के बाद से उपविजेता भी नही हो सकी है।