
संवाददाता
कानपुर। साइबर ठग नए नए तरीके निकाल लेते है। इस बार सैकड़ों लोग ठगी का शिकार बने हैं, जिन्हें मोबाइल एप और स्कीम का झांसा देकर लाखों रुपए की चपत लगा दी गई। ठगों ने पहले लोगों को कुछ मुनाफा दिया, ताकि वे भरोसे में आ जाएं। फिर जब अच्छी-खासी रकम ठगो के पास जमा हो गई, तो पूरा नेटवर्क ही गायब हो गया। अब पीड़ित साइबर थाने के चक्कर काट रहे हैं और अपनी शिकायतें दे रहे हैं।
ठगी की शुरुआत एक मोबाइल एप मार्केट मास्टर के जरिए हुई। इस एप को डाउनलोड करवाकर लोगों को तरह-तरह की स्कीम के ऑफर किए गए। उनसे कहा गया कि अगर आप पैसे लगाते हैं तो दो से तीन दिन में वो रकम दोगुनी हो जाएगी। शुरुआत में लोगों को कुछ रकम वापस भी मिली, जिससे उनका भरोसा और बढ़ गया।
इस ठगी की शिकायतकर्ता नीलम सिंह कानपुर के आरके नगर की रहने वाली हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें इस ऐप के बारे में मार्च महीने में जानकारी मिली। ऐप को कैसे चलाना है, क्या करना है, ये सब आगरा वाट्सएप ग्रुप नाम के एक ग्रुप के जरिए बताया जाता था। इस ग्रुप को रविंद्र कुमार नाम का व्यक्ति चला रहा था, जो आगरा का रहने वाला है।
रविंद्र ने पहले कानपुर के हटिया इलाके के पवन गुप्ता को इस ग्रुप में जोड़ा, फिर धीरे-धीरे यह नेटवर्क फैलता चला गया और करीब 500 से ज्यादा लोग इससे जुड़ गए और फिर ठगी का खेल शुरू हुआ।
नीलम सिंह ने बताया कि स्कीम के नाम पर जब पैसे लगाए जाते थे तो दो-तीन दिन में रकम दोगुनी करके वापस आ जाती थी। इसके अलावा रोज कुछ इनकम भी दिखती थी। इससे लोगों को भरोसा हो गया कि यह स्कीम असली है। कुछ लोगों ने तो अपने रिश्तेदारों को भी जोड़ लिया।
नीलम सिंह के मुताबिक, उनकी जानने वाली एक अध्यापिका अल्का श्रीवास्तव और उनके पति गगन श्रीवास्तव उनके घर आए और इस एप की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कंपनी सेबी से रजिस्टर्ड है और जो इनकम मिलेगी, वो टैक्स फ्री होगी। इसके लिए एक नकली सर्टिफिकेट भी भेजा गया।
भरोसे में आकर नीलम ने एप ज्वाइन किया और वाट्सएप ग्रुप में जुड़ गईं। रविंद्र कपूर नाम के एडमिन से उनकी बातचीत भी कराई गई। इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने अपने दो खातों से 394014 रुपए भेज दिए। साथ ही उनके परिवार और जान-पहचान के कई लोगों ने भी लाखों रुपए लगाए, वो सब डूब गए हैं।
फिलहाल कुछ ही पीड़ित सामने आए हैं जिन्होंने साइबर थाने में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। माना जा रहा है कि जैसे-जैसे मामले की जानकारी फैलेगी, और भी लोग सामने आएंगे। पीड़ितों का कहना है कि प्रशासन को जल्द कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि ठगों का नेटवर्क दूसरे शहरों में भी फैला हो सकता है।
यह पूरा मामला साइबर ठगी का नया मॉडल बनता जा रहा है, जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म, नकली स्कीम और फर्जी दस्तावेजों के जरिए लोगों को फंसाया जा रहा है।