
आ स. संवाददाता
कानपुर। 27 फरवरी को देश की आजादी की लड़ाई में अपना सबकुछ न्यौछावर कर देने वाले शहीद चंद्रशेखर आजाद का बलिदान दिवस मनाया जाता है। उनके इस बलिदान दिवस को चंद्रशेखर आजाद प्रौद्योगिकी एवं कृषि विश्वविद्यालय कानपुर भूल गया। उनकी प्रतिमा पर आज के दिन एक फूल चढ़ाना तो दूर, किसी ने उस स्थान की साफ सफाई तक नहीं की ।
विश्वविद्यालय के अंदर लगी आजाद की प्रतिमा पर एक माला पड़ा था, जो कई दिन पुराना था। माले के फूल पूरी तरह से मुरझा चुके थे। प्रतिमा स्थल धूल खा रहा था। प्रतिमा स्थल पर जाने वाले मार्ग पर सूखे पत्ते पड़े थे, जिन्हें देखकर साफ लग रहा था कि यहां पर झाडू तक नहीं लगाई गई थी। प्रतिमा पर धूल जमी थी।
जब इस विषय पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों से पूछा गया तो किसी को मालूम ही नहीं था कि आज चंद्रशेखर आजाद का बलिदान दिवस है। वहां पर किसानों का एक कार्यक्रम चलता रहा।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह ने कहा कि किसानों का जो कार्यक्रम हुआ था वो बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में ही कराया गया था। आज सुबह मैं सबसे पहले चंद्रशेखर जी की प्रतिमा पर गया था और फूल भी अर्पित किए थे।
लेकिन कुलपति के ऑफिस के सामने बनी प्रतिमा पर पड़ा मुरझाया माला और धूल की परते सारी हकीकत बयां कर रही थी, कि जिनके नाम का विश्वविद्यालय है उनके ही बलिदान को आज विश्वविद्यालय प्रशासन भूल गया है। यदि फूल अर्पित किए गए थे तो फिर प्रतिमा पर पड़ा पुराना माला क्यों नहीं हटाया गया।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने दावा किया कि प्रसार निदेशालय के बाहर स्थित चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए गए थे, चर्चा ये भी है कि जब मीडिया ने इस पर सवाल किया उसके बाद आनन फानन में सभी लोग एकत्र हुए और फूल चढ़ा कर रस्म अदायगी कर दी गई।