December 7, 2025

संवाददाता 

कानपुर। हम गरीब हैं। बच्चे जो कमाते हैं, उसी से घर चलता है। बच्चे देर रात घर आते-जाते हैं। अब इरफान सोलंकी जेल से बाहर आ गए हैं। हमारे बच्चों के लिए खतरा बढ़ गया है, वो 20 कदम दूर ही तो रहते हैं। यह कहते हुए नजीर फातिमा के चेहरे पर डर दिखा। नजीर उस केस की पीड़िता हैं, जिसके चलते कानपुर के सीसामऊ से तत्कालीन सपा विधायक इरफान सोलंकी की विधायकी चली गई। उन्हें 7 साल की जेल हुई। अब 34 महीने बाद वह बाहर आ गए हैं।

नजीर फातिमा का कहना है कि इरफान की जमानत पर हमें कोई एतराज नहीं, कोर्ट ने फैसला दिया, ठीक ही दिया होगा। हम सिर्फ अपने परिवार के लिए खौफ में हैं। बच्चे हैं, रात-बिरात आते-जाते हैं। डर तो बना ही हुआ है। कभी भी हमारे बच्चों को कुछ भी हो सकता है। उनका घर तो बगल में ही है, सिर्फ एक दीवार की दूरी है। जब एफ आई आर दर्ज कराई, तब कई धमकी मिली थी। कहा गया- कंप्रोमाइज कर लीजिए, नहीं तो ठीक नहीं होगा। वो बड़े आदमी हैं, कुछ भी हो सकता है।

सरकार से हम यही चाहते हैं कि हमारे नाम इस प्लॉट की रजिस्ट्री कर दी जाए। हमारे बच्चों को सुरक्षित माहौल और रोजगार मिले। हमारी गरीबी को समझिए, हमारे घर में तो बिजली का कनेक्शन तक नहीं है। अभी सोलर लगवाया है, आप समझ सकते हैं कि सोलर से कितनी बिजली मिल पाती होगी।
इरफान के भाई रिजवान ने फर्जीवाड़ा करके अपने नाम पर रजिस्ट्री करवा ली है। जबकि लीगल तरीके से हमारा पैसा जमा है। इसके साथ ही सिविल कोर्ट में हमारा मुकदमा चल रहा है।
नजीर फातिमा ने 8 नवंबर, 2022 को जाजमऊ थाने में इरफान, रिजवान समेत अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस को बताया था कि साजिश के तहत उसके अस्थाई घर को तबाह कर दिया गया। ताकि वह घर छोड़कर भाग जाए और विधायक परिवार उस पर कब्जा कर ले। आग से गृहस्थी, फ्रिज, टीवी, सिलेंडर और बाकी सामान जल गया था।
पुलिस ने जांच में शौकत, शरीफ और इजराइल आटावाला, अनूप यादव, महबूब आलम, शमशुद्दीन, एजाजुद्दीन, मो. एजाज, मुर्सलीन भोलू और शकील चिकना को इस केस में आरोपी बनाया। इरफान और रिजवान को सजा सुनाई जा चुकी है। मगर अब दोनों जेल से बाहर आ चुके हैं।