May 9, 2025

आ स. संवाददाता

कानपुर। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 5 नवम्बर से छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय के साथ शुरु होगी, इसका समापन अष्टमी तिथि 8 नवंबर को उदयगामी सूर्य को अर्ध्य  देकर किया जाएगा। इस दौरान छठ मैया और सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाएगी। धर्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को सच्चे मन से करने से घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। छठ पूजा एक ऐसा पर्व है, जब डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर उपासना की जाती है। वहीं, सनातन धर्म में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान भी माना गया है। मंगलवार से सुहागिनें नहाय खाय के साथ इस पूजन की शुरुआत करेंगी। इसके बाद खरना पूजन, संध्या अर्घ्य और उदय होते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देकर छठ मइया से संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और परिवार कल्याण का वर मांगेंगी। शहर में इसको लेकर तैयारियां भी पूरी तरह से शुरू कर दी गयी हैं। गंगा तट और नहरों पर वेदियों को सजाया जा रहा है। गोला घाट, सिद्धनाथ घाट, सीटीआइ नगर, पनकी नहर, अर्मापुर नहर, शास्त्री नगर में छठ मइया का सार्वजनिक पूजन किया जाएगा। छठ पूजा को लेकर नगर निगम ने भी तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए कृत्रिम तालाब भी बनाए गये हैं, जहां लगभग 20 हजार लोग पूजा कर सकेंगे। बड़ा सेंट्रल पार्क शास्त्रीनगर, छोटा सेंट्रल पार्क शास्त्रीनगर, पीली कालोनी पार्क शास्त्रीनगर, जेपी पार्क विजयनगर, आनंदराव पार्क शास्त्रीनगर में कृत्रिम पार्क का निर्माण कराया जाएगा। वहीं नगर निगम की ओर से छठ पूजा स्थलों की सफाई के साथ ही पैचवर्क और कृत्रिम तालाबों के निर्माण का निर्देश दिया गया है। मंगलवार से शुरु हो रहे छठ पर्व के पहले दिन सुबह महिलाएं नहाय खाय के साथ छठ पूजन की शुरुआत करेंगी जिसमें वह लौकी और भात ग्रहण करेंगी। व्रती महिला घर के एक कमरे में पूजन कर अखंड ज्योत जलाएंगी।नहाय खाय के बाद दूसरे दिन खरना मनाया जाएगा । जिसमें गन्ने के रस में चावल को पकाकर सुहागिनें ग्रहण करके निर्जला व्रत की शुरुआत करेंगी। इस दिन रंगोली बनाकर मां का पूजन और कथा सुने जाने का प्रावधान माना गया है। तीसरे दिन गंगा या नहर और तालाबों के घाटों पर संध्या अर्घ्य पूजन किया जाएगा। व्रती महिलाएं पुत्र और पति के साथ सरोवर के जल में खड़े होकर भगवान सूर्य और छठ मइया का पूजन कर अर्घ्य देंगी। पूजन का समापन करते हुए व्रती महिलाएं उदयागामी सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करेंगी। भोर पहर सरोवर के जल में खड़े होकर सूर्य देवता को जल अर्पित करती हैं और अर्घ्य के बाद सुहागिनों द्वारा मांग भरने की रस्म की जाती है। पूजन के बाद ठेकुआ का प्रसाद वितरित किया जाएगा।