October 18, 2024

आ.स. संवाददाता

कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के भीतर गुटबाजी और अर्न्तकलह के बीज अब पूरी तरह से फूट चुके नजर आने लगे हैं। बीते महीने ग्रीनपार्क में खेले गए टेस्ट मैच के दौरान यह गुटबाजी और भी सामने देखी गयी जब यूपीपीएल आयुक्त और पूर्व सचिव इतने बडे आयोजन से नदारद रहे। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ में सत्तारुढ सदस्यों के मनमानी रवैये के खिलाफ विरोध की आग की चिन्गारी अब भयावह रूप अख्तियार करने की ओर अग्रसर हो चली है। संघ के भीतर ही बगावत के सुर और भी बुलन्द  होने लग पडे हैं।

23 अक्टूबर को आयोजित होने वाली इस बार प्रदेश संघ की वार्षिक आम सभा में जिन दो पदों के लिए चुनाव की तैयारी चल रही है उसी के लिए कई उम्मीदवार अपना दावा ठोंकने की तैयारी कर रहे हैं। जबकि आलाकमान की मंशा है कि पूर्व की ही भांति सभी के सहयोग से नियुक्ति तय कर दी जाए।यूपीसीए के सूत्रों के मुताबिक बीते मई महीने में दो पदाधिकारियों के बीच शुरु हुयी जंग अब और भी गंभीर स्थिति में आकर रुक गयी है जहां से गंगा की नई धारा का प्रवाह निकलने की राह देखी जा रही है। सूत्रों के अनुसार पूर्व के कई पदाधिकारियों को सचिव पद पर चुने गए शख्स से नाराजगी है और कई को यूपीपीएल के आयुक्त को नियुक्त  किए जाने पर दो बार से एक ही व्यनक्ति के हाथ में बागडोर विरोधी गुट को पच नही पा रही है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ में एक ही व्यक्ति के पास सारे अधिकार सीमिेत रखने को लेकर कई महीनों से विवाद चल रहा है। विवाद को थामने के बजाए पूर्व पदाधिकारियों का एक धड़ा अपने मनमाने और हठधर्मी रवैये से दूसरे को पराजित करने में अधिक रुचि दिखा रहा है। गौरतलब है कि इस बार यूपीपीएल के आयुक्त को लेकर सबसे अधिक चर्चा चल रही है जिसमें पूर्व आयुक्त को हटाकर नए आयुक्त को चुनकर रखे जाने की कवायद पूरी तरह से जारी है। बतातें चलें कि साल 2023 में यूपीपीएल आयुक्त  को सभी के सहयोग से नियुक्त  किया गया था जबकि अब सदस्यों की मंशा है कि आयुक्त  को चुनाव के माध्यम से आना चाहिए।प्रदेश क्रिकेट संघ में पूर्व से ही पदाधिकारियों की नियुक्ति होती आयी है क्योंकि चुनाव लडने के लिए आलाकमान के द्वारा निर्धारित शख्स के खिलाफ अपना नामांकन तक करवाने में लोग डरते रहे है। अब जब कि संघ के भीतर गुटबाजी अधिक हो चली है तो वार्षिक आम सभा और चुनाव के दौरान हंगामा होना लाजिमी दिखायी दे रहा है। इस मामले में बात करने के लिए निदेशक इन्चार्ज रियासत अली से सम्पर्क किया गया लेकिन उन्होंने उसे हंसकर टालने का काम किया।