आ स. संवाददाता
कानपुए। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के डेरी एवं पशुपालन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. पीके उपाध्याय ने किसान भाइयों को एडवाइजरी जारी करते हुए बताया है कि किसानों के लिए बरसीम का चारा उनके पशुओं के लिए सर्दी के मौसम में पौष्टिक चारे का एक उत्तम स्त्रोत है। इसमें रेशे की मात्रा कम और प्रोटीन की औसत मात्रा 20 – 22 प्रतिशत तक होती है । इसके अतिरिक्त इसमें कैल्शियम और फॉस्फोरस भी काफी मात्रा में पाये जाते है, जिसके कारण दुधारू पशुओं को अलग से खली-दाना आदि देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
डा. उपाध्याय ने बताया कि प्रायः यह देखा गया है कि बरसीम की प्रथम कटाई के दौरान कम उपज मिलती है, परन्तु दूसरी और तीसरी कटाई के समय सबसे अधिक उपज मिलती है।
उन्होंने किसानों को सचेत किया कि कुछ किसान भाई अधिक बरसीम उपलब्धता के कारण पशुओं को अधिक खिला देते हैं और नुकसान उठाते हैं। बरसीम अधिक खाने से पशुओं में अफारा रोग हो जाता है। इसलिए बरसीम को सूखे चारे के साथ मिलाकर खिलाएँ या पहले सूखा चारा खिलाए फिर पशुओं को बरसीम खिलाएँ।
डा. उपाध्याय ने सलाह दी है कि बरसीम की बुआई के समय ही यदि इसके बीज के साथ ही जई और गोभी, सरसो के बीजो को मिलाकर बोया जाय तो इससे न केवल अधिक मात्रा मे हरा चारा प्राप्त होगा, बल्कि पशु को अफारा रोग की समस्या से छुटकारा भी मिलेगा और चारे की पौष्टिकता, पाचकता भी कई गुना बढ़ जाएगी।