
अघोरी रूप देखा तो, हुये बेहोश हैं सारे,
मिलन की यामिनी आयी, बने शिव वर बड़े प्यारे।
रहे गण भूत, संगी हैं, चली बारात न्यारी है,
चले नंदी लिए डमरू, बिखेरे पुष्प नगरी है।
दमकता चंद्र माथे पे, सजे शंकर लगे न्यारे,
मिलन की यामिनी आयी, बने शिव वर बड़े प्यारे।
निशा फाल्गुन कहे सबको, अनोखा पर्व आया है,
बरसते पुष्प अंबर से, सकल जग को बुलाया है।
खड़े हैं देव दानव भी, निराला रूप शिव धारे,
मिलन की यामिनी आयी, बने शिव वर बड़े प्यारे।
गले में सर्प की माला, बदन पे भस्म है शोभित ,
सवारी देख माँ रोयी, उमा का मन हुआ मोहित।
महाशिवरात्रि का पल है, खुशी में झूमते तारे,
मिलन की यामिनी आयी, बने शिव वर बड़े प्यारे।
लिए वरमाल चलती हैं, भवानी पार्वती प्यारी,
सुता हिमगिरि तपस का फल, धरा ये देखती न्यारी।
हुयी परिणय विधा पूरी, मिले शिव शक्ति के धारे,
मिलन की यामिनी आयी, बने शिव वर बड़े प्यारे।
रचनाकार का नाम — संजीव कुमार भटनागर