November 8, 2024

भूपेंद्र सिंह

कानपुर। निजी और सरकारी संस्थाओं के वित्तीय विभाग को नियन्त्रित करने वाले देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट मंत्रालय से अब प्रदेश क्रिकेट संघ की ओर से करोड़ों के टैक्स चोरी या फिर कहा जाए चूना लगाने की शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायतकर्ता ने प्रदेश संघ पर वर्ष 2006-07 से लेकर 2016-17 तक लगभग 90 करोड़ से अधिक के टैक्स का चूना लगाने की बात की है। यही नहीं उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्यों और पदाधिकारी के साथ ही निदेशकों की ओर से की जा रही मनमानी अब और भी मुखर होने लगी है। उनकी बर्खास्तगी को लेकर अब एक बार फिर से मांग उठने लगी है । शिकायतकर्ता ने बीसीसीआई के लोकायुक्त के साथ ही बोर्ड सचिव से संघ में 9 साल पूरे कर चुके लोगों को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग भी दोहराई है। कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय को मेल प्रेषित कर संघ में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत में दर्शाया गया है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा गैर-लाभकारी संस्था के उद्देश्यों का उल्लंघन और आयकर चोरी के संबंध में तत्काल कठोर कार्यवाही की जाए ।

शिकायतकर्ताओ ने उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन, जो कि गैर-लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत है, अपने पंजीकरण के उद्देश्यों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए लाभकारी गतिविधियों में संलग्न है। यह संस्था अपने गैर-लाभकारी दर्जे का दुरुपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर आय अर्जित कर रही है। और उस आय पर कर भी अदा कर रही है, जो कि गैर- लाभकारी उद्देश्यों का सरासर मज़ाक उड़ाता है। शिकायतकर्ता ने आरटीआई के माध्यम से वित्त विभाग को शिकायत में बताया है कि प्रदेश क्रिकेट संघ ने साल 2005 से अपने को सोसायटी एक्ट से हटाकर कम्पनी एक्ट में विलय करवा लिया था, संघ ने लिखित में दिए अपने हलफनामे में बताया था कि खेल को प्रमोशन देने का काम करेगी जो उसने नही किया और उसके बहाने कम्पनी में पंजीकृत यूपीसीए ने साल 2006 -07 में लगभग रु 2,49,55,615/- का चूना लगाया था जो साल 2014-15 में बढकर लगभग रु 22,56,66,104.58/- तक पहुंच गया था। इसके बाद भी कारपोरेट मन्त्रालय में बैठे अधिकारियों ने इसकी सुध नही ली और अब तक वह 90 करोड से अधिक की टैक्स चोरी को पार कर गया है। यूपीसीए पर कारपोरेट मन्त्रालय के साथ वित्तीय गड़बड़ियों से साल दर साल चूना लगाने का काम शिकायतकर्ता के आधार पर किया गया है। यूपीसीए ने टैक्स चोरी के मामले में टीडीएस भी नही छोडा और इसकी रकम वर्ष 2006-07 से 2016-17 तक -कुल राशिः रु 90,71,99,981.68/- है। इसका अर्थ यह है कि यूपीसीए अपने तथाकथित “गैर-लाभकारी” ढाँचे का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपये की आय अर्जित कर रही है। इनके आय के स्रोतों में विभिन्न प्रकार की फीस, मैचों से हुई आय और अन्य लाभकारी गतिविधियाँ सम्मिलित हैं। यह संस्था “गैर-लाभकारी” आवरण के पीछे लाभ कमा रही है और कर विभाग को धोखे में रखकर करोड़ों रुपये के कर विवादों में उलझी हुई है।मंत्रालय से आग्रह किया गया हैं कि इस घोर अनियमितता और कर-चोरी के मामले को तत्काल संज्ञान में लें और त्वरित कार्यवाही करें। साथ  ही शिकायतकर्ता ने सीएजी द्वारा संपूर्ण लेखा परीक्षण संस्था के सभी वित्तीय लेनदेन की गहन जाँच करवाए जाने की मांग की है । उन्होंने मन्त्रालय से तत्काल पर्यवेक्षक की नियुक्ति की मांग उठायी है  जिससे संस्था के लाभकारी कार्यों पर नियंत्रण रखा जा सके और यह निश्चित हो सके कि भविष्य में यह संस्था अपने गैर-लाभकारी उद्देश्य के अनुरूप ही कार्य करे सभी वित्तीय गतिविधियों की कड़ी निगरानी जिससे कि संस्था भविष्य में सरकारी नीतियों और नियमों का उल्लंघन न कर सके। शिकायतकर्ता का कहना है की यह अत्यंत चिंताजनक है कि एक गैर-लाभकारी संगठन का आचरण मुनाफाखोरी की ओर बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार की अनियमितताओं पर कड़ा अंकुश लगाने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने की महती आवश्यकता है।

वही इस मामले में यूपीसीए के सचिव अरविन्द श्रीवास्तव ने बताया कि जब जांच की बात आएगी तब संघ अपना पक्ष भी मजबूती से रखेगा।