कानपुर। 12 से 14 अगस्त के बीच उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की आयोजित अम्पायरिंग व स्कोरिंग कार्यशाला में उन्ही को ग्रेड मिला या फिर पास कर दिए गए जो ठेकेदार के खास थे। प्रदेश स्तर की कार्यशाला में सफल हुए अभ्यर्थियों को एक बार फिर से 25 अगस्त से शुरु हुई उत्तर प्रदेश क्रिकेट प्रीमियर लीग टी-टवेन्टी प्रतियोगिता में अम्पायरिंग और स्कोरिंग करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। गौरतलब है कि इस बार इस प्रतियोगिता में डीआरएस सिस्टम लागू किए जाने के चलते बीसीसीआई से तीन राष्ट्रीय स्तर के अधिकारी प्रतियोगिता का हिस्सा होने जा रहे है जबकि मैदान पर प्रदेश के ठेकेदार की ओर से नियुक्त किए गए लोगों को ही अवसर प्रदान किए जाने की संभावना है। अब तो प्रदेश स्तर के अन्य अम्पा्यर और स्कोरर्स ने शीर्ष अधिकारियों को शिकायत के साथ चुनौती भी दे दी है कि अगर उन्हे कार्य नही आता तो घरेलू प्रतियोगिताओं और चयन प्रक्रिया वाले मैचों में बुलावा ही क्यों भेजा जाता है। अब तो कई सदस्यों ने संघ के पदाधिकारियों पर ही आरोप लगाने शुरु कर दिए है कि खिलाडियों को मनमुताबिक पैसे लेकर खिलाने की प्रथा खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी की इसी बीच अंपायर्स और स्कोरर की फर्जी वर्कशॉप कर के इसमें भी पैसे का खेला चालू हो गया।हाल ही में यूपीसीए ने बीसीसीआई अंपायर अनिल चौधरी की देख रेख में लाखो रुपए खर्च करके एक कार्यशाला का आयोजन कराया , जबकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी। सबसे बड़ी बात ये थी कि उसमें ५५ वर्ष के अंदर के ही पार्टिसिपेट कर सकते थे, बीसीसीआई में कही नही लिखा है की कोई भी क्लास लेने की आयु सीमा ५५ है, ये सिर्फ कुछ लोगो को बाहर करने के लिए किया गया था। वर्कशॉप के पश्चात रिजल्ट भी घोषित किया जिसमें ए और बी ग्रेड के अंपायर और स्कोरर को ग्रेड दी गई।, किसी को यह जानकारी भी नही कि इस ग्रेड में रख कर संघ क्या साबित करना चाहता या तो अपने लोगो को यूपीपीएल टी २० में ए ग्रेड को रखने की साजिश थी या कुछ और। ? कई सदस्यों ने यह आरोप भी लगाया कि अनिल चौधरी के साथ अंपायर्स का मूल्यांकन किसने किया, ? सदस्यों ने संघ के एक ठेकेदार पर निशाना लगाते हुए बताया कि वह बीसीसीआई स्कोरर है, अंपायरिंग में कुछ भी नही है जो सिर्फ लोगो से वसूली करते और यूपीसीए को बेफकूफ बनाने का काम कर रहे है उसने सब अपने लोगो को ए ग्रेड दिलाने की मंशा थी। कुछ तो बहुत अच्छे थे लेकिन उनकी गुड बुक्स में न होने की वजह से बाहर कर दिए गए। जिन्होंने पिछले यूपीपीएल टी२० में अपने गुड्स बुक के लोगों की अंपायरिंग लगाई थी, जो कि खराब अंपायरिंग की वजह से यूपीसीए की बहुत बदनामी हुए थी। कमेंटेटर ने इस कृत्यी के लिए तो शेम वर्ड का भी प्रयोग किया था। ६ साल पहले भी ठेकेदार ने योग टावर में कार्य करने वाले को स्टेट अंपायरिंग परिक्षा में बाकायदे उसको पास करवया था, लेकिन बात खुल जाने की वजह से उस परीक्षार्थी को बाहर का रास्ता दिखाया गया था। माना जा रहा है कि ये सारी कवायद अक्षम लोगों को अंपायर बना कर पैसे खाना और उनसे यूपी टी 20 मे मन मुताबिक फैसले करवाना हैं।इस बारे में यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने बताया कि आलकमान से बात कर समस्या का निराकरण आवश्यक हो गया है। उन्होंने बताया कि सभी को मौका मिलना चाहिए जिससे उनको अधिक तजुर्बा प्राप्त हो सके।