
संवाददाता
कानपुर। दलितों पर अखिलेश यादव के बयान के बाद नगर की सियासत भी गरमा गई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में दलितों को लेकर एक बयान दिया था। अखिलेश ने कहा था कि भाजपा सरकार में उत्तर प्रदेश में दलितों पर अन्याय और अत्याचार की घटनाएं बढ़ गई हैं। पुलिस-प्रशासन मूक दर्शक बना है।
इस पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने अब पलटवार किया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि अखिलेश यादव को अपनी सरकार का कार्यकाल देखना चाहिए। इसके बाद दूसरी सरकार पर बोलना चाहिए। उनको देखना चाहिए कि उनकी सरकार में दलितों को कितना सम्मान दिया जाता था।
विधान परिषद सदस्य एमएलसी अरुण पाठक ने अखिलेश यादव पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि अल्जाइमर की एक बीमारी होती है, जिसमें व्यक्ति भ्रम की स्थिति में रहता है। उम्र बढ़ती जाती है, लेकिन सोच पीछे छूटती जाती है। उत्तर प्रदेश में 2012 से 2017 में जो हुआ, उसे अखिलेश 2025 में कहते हैं।
एमएलसी अरुण पाठक ने कहा कि अल्जाइमर में व्यक्ति भ्रम की स्थिति में रहता है। वह स्थिति अखिलेश यादव की है।
एमएलसी अरुण पाठक ने कहा कि इटावा में ट्रैक्टर से हमारे दलित भाइयों को कुचला गया था। प्रतापगढ़ में भी अत्याचार हुआ था। भाजपा सरकार में ऐसा कुछ नहीं हुआ। अभी बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी स्पष्ट रूप से कहा कि कांशीराम के नाम से जो पार्क थे या अन्य दलितों के हित में जो योजनाएं हैं, भाजपा सरकार में वे सभी अच्छे से चल रही हैं।
समाजवादी पार्टी के लोग क्या कर रहे हैं, ये भी उन्होंने बताया था। अखिलेश यादव किसी और समय की बात किसी और सन में करते हैं। जो उनकी सरकार में हुआ है, उसे वह भाजपा की सरकार में गिनाते हैं।
गोविंदनगर विधानसभा के भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी ने कहा- अखिलेश यादव को भूलने की आदत हो गई है। उनको देखना चाहिए कि उनके शासन काल में किस तरह से महिलाओं के साथ अत्याचार और चैन स्नेचिंग की घटनाएं होती थी। महिलाओं का घर से निकलना मुश्किल हो गया था।
अपहरण उद्योग बन गया था। कानून व्यवस्था ऐसी चरमरा गई थी। इसीलिए 2017 में लोगों ने उनको नकार कर भारती जनता पार्टी को सेवा का अवसर दिया। योगी सरकार 0 टॉलरेंस की नीति पर लोगों की सेवा कर रही है। ऐसे में उन लोगों में भय व्याप्त हैं जो कहीं न कहीं अपराध से जुड़े रहते हैं। आम जनता की रक्षा करना सरकार का नैतिक कर्तव्य है।
विधायक सुरेंद्र मैथानी ने कहा कि अगर बात रही दलितों पर अत्याचार की तो आज कल सारा रिकॉर्ड ऑनलाइन है। इसे निकाल कर देख लें कि पहले दलितों के कितने झगड़े होते थे। अखिलेश सरकार किसे सह देती थी। ये किसी से छुपा नहीं है।






