September 17, 2024
कानपुर। मोदी लहर में भी सीसामऊ विधानसभा सीट पर लगातार दो बार पराजित होने वाली भारतीय जनता पार्टी उस सीट पर जीत के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। अब पार्टी उपचुनाव में जीत की संभावना तलाश रही है कई महीनों से इसकी तैयारियों को अमली जामा पहनाने की तैयारी कर रही है। संगठन ने पहले कई मन्त्रियों को सीट पर जीत की संभावनाएं तलाशने के लिए भेजा जब उन्हे आशातीत सफलता मिलती नही दिखायी दी तो सूबे के मुख्यमन्त्री  योगी आदित्यनाथ को मैदान में उतरने के लिए विवश होना पड गया। सीट में संभावित उपचुनाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्‍वंय कमान संभाल ली है गुरुवार को वह विधानसभा में जनसभा करेंगे। यहां सीसामऊ विधानसभा में रहने वाले लाभार्थियों से मुलाकात करेंगे और उन्हें योजनाओं की सौगात भी देंगे मोदी  लहर में भी भाजपा ये सीट नहीं जीत सकी थी। हालांकि भाजपा ने अभी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है। लेकिन सपा ने इरफान की पत्नी नसीम सोलंकी के नाम पर मुहर लगा चुकी है। अब सीएम योगी खुद यहां उपचुनाव के लिए कैंपेनिंग करेंगे। इसकी शुरूआत गुरुवार से हो रही है।2012 के बाद से इस सीट पर 3 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इरफान सोलंकी के जेल जाने के बाद पहली बार उपचुनाव हो रहा है। इस सीट पर भाजपा हमेशा ही दूसरे नंबर पर रही, लेकिन जीत दर्ज नहीं कर सकी। इस सीट पर मुस्लिम निर्णायक है। ऐसे में भाजपा ने योजनाओं के बहाने पर मुस्लिमों को साधने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।वर्ष 2012 में इस विधानसभा क्षेत्र का नया परिसीमन हुआ। उसके बाद से यह सीट सपा के पास है। भाजपा के पास ये सीट जीतने का बड़ा मौका है। इसे भाजपा खुद समझ रही है और इस मौके को अब भाजपा गंवाना नहीं चाहती है। वहीं इस सीट पर कई नेता अभी से दावा ठोंकने लगे हैं। कई नेता दिल्ली के साथ ही प्रदेश स्तर पर संगठन की परिक्रमा लगाने लगे हैं।ये सीट वर्ष-1991 से 2002 तक लगातार 3 बार भाजपा के पास ही रही है। यहां से 3 बार राकेश सोनकर विधायक रहे। जबकि इसके बाद 2002 से 2012 तक कांग्रेस से संजीव दरियाबादी के पास रही। दोनों ही विधायक दलित चेहरे के रूप में यहां से जीत कर आए। भाजपा बीते चुनावों पर ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगा रही है, लेकिन हार का मुंह ही देखना पड़ रहा है। इस मुस्लिम बाहुल्य सीट पर भाजपा को जीत दर्ज करने के लिए ब्राह्मण और दलितों को एकजुट करना होगा। क्योंकि मुस्लिम मतदाता भाजपा से खासा नाराज हैं। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा सीसामऊ विधानसभा बुरी तरह हार चुकी है। ऐसे में भाजपा को मुस्लिम वोटबैंक को साधने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी।

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