
आ स. संवाददाता
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आनंद कुमार सिंह के निर्देशन में कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर के उद्यान वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार सिंह ने इस समय नींबू तथा लीची के बागानों में विभिन्न औद्यानिक क्रियाओ की एडवाइसरी जारी की है जिनसे अधिक उपज, गुणवत्ता और उत्पादन प्राप्त होगा ।
डॉ. सिंह का कहना है कि इस समय नींबू वर्गीय विभिन्न फलों जैसे संतरा, किन्नू, मुसम्मी, कागजी नींबू इत्यादि फल विकास की अवस्था में है, इन फलों को इस समय गिरने से बचाने के लिए पौधे पर नेप्थलीन एसिटिक एसिड कि 50 मिलीग्राम दवा या प्लानोफिक्स 4.5% की 0.5 मिली लीटर दवा को 1 लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिड़काव करने से फलों के फटने की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। फलो का फटना तापक्रम के विकास से भी सीधा संबंधित है अतः फलों की तुड़ाई होने तक पौधों के पास हल्की नमी बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए 3-4 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई करने के साथ-साथ पौधों के पास पलवार बिछा देते हैं जिससे नमी संरक्षित रहती है।पौधों पर 5 ग्राम बोरेक्स तथा 5 ग्राम जिंक सल्फेट को 1 लीटर पानी में घोलकर, फलो पर छिड़काव करने से फलों के फटने की प्रक्रिया को कम किया जा सकता है।
डॉ. अरुण कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश में कई स्थानों पर लीची भी बहुतायत में उगाई जाती है, लीची के फल विकास की अवस्था में है। लीची के फलों में फल बेधक कीट का प्रकोप हो तो फसल पर थिआक्लोप्रिड 0.75 की 1 मिलीलीटर दवा अथवा नोबाल्यूरान की 1.5 मिलीलीटर मात्रा को 1 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। पौधों में 300 ग्राम पोटाश प्रति पौधा डालने से फलों की मिठास और गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है।