
आ स. संवाददाता
कानपुर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में भारतीय शास्त्रीय संगीत से सजी एक आकर्षक शाम का आयोजन किया गया, जिसमें दो सबसे प्रतिष्ठित कलाकार सितार वादक उस्ताद शाहिद परवेज खान और सरोद वादक पं. तेजेंद्र नारायण मजूमदार ने प्रस्तुति दी। तबले पर शानदार प्रदर्शन के साथ ईशान घोष ने इस कार्यक्रम में ऐसा मंत्रमुग्ध कर देने वाला संगीत प्रदान किया जिसने दर्शकों को मोहित कर दिया।
पी. टी. नरसिम्हन फंड फॉर क्लासिकल आर्ट्स के सहयोग से स्पिक मैके – आईआईटी कानपुर चैप्टर द्वारा आयोजित इस संगीत कार्यक्रम में आईआईटी कानपुर ने अपनी सांस्कृतिक समृद्धि और कलात्मक योग्यता के प्रति समर्पण को उजागर किया ।
पंडित तेजेंद्र नारायण मजूमदार ने इस शाम की शुरुआत राग मेघ-मालती से की, जो उनके गुरु महान उस्ताद अली अकबर खान की एक दुर्लभ और भावपूर्ण मधुर रचना है। उनकी प्रस्तुति में सहज महारत और गहन भावनात्मक गहराई की झलक मिली। इसके बाद उन्होंने राग तिलक कामोद पर आधारित एक दिल को झकझोर देने वाली धुन पेश की, जिसमें उनकी सूक्ष्म अभिव्यक्ति और तकनीकी कौशल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इसके बाद उस्ताद शाहिद परवेज़ खान ने राग चारुकेशी की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति दी, जिसमें इमदादखानी घराने के खास गायकी अंग का सार सामने आया। यह गायन शैली सितार को बेजोड़ गीतात्मक गुणवत्ता प्रदान करती है। उनकी प्रस्तुति जटिल वाक्यांशों, मधुर अन्वेषण और विशुद्ध कला-कौशल का एक उत्कृष्ट उदाहरण थी। इस संगीतमय शाम का समापन राग भैरवी में एक भावपूर्ण धुन के साथ हुआ, जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
आईआईटी कानपुर का उद्देश्य भारत की समृद्ध संगीत और सांस्कृतिक परंपराओं के प्रचार और संरक्षण के लिए एक मंच के रूप में काम करना है। इस स्तर के प्रदर्शनों को क्यूरेट करके, संस्थान यह सुनिश्चित करता है कि ये कालातीत कला, भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुलभ और पोषित रहें।