आ स. संवाददाता
कानपुर। अपने मेरठ में तैनाती के दौरान 1100 करोड़ रुपए की जमीन के नामांतरण में फंसे कानपुर नगर निगम अपर नगर आयुक्त अमित कुमार भारतीय ने बताया कि मेरठ में उनकी तैनाती से पहले का ये मामला है । इसमें शासन से ही स्टांप शुल्क को माफी के आदेश जारी किए गए थे। लेकिन बाबू ने आदेश को खतौनी में दर्ज नहीं किया। जिससे ये पूरा प्रकरण सामने आया।
अपर नगर आयुक्त ने पक्ष रखते हुए कहा कि कंपनी मोदी रबड़ दिवालिया हो गई थी। बोर्ड ऑफ इंडस्ट्रियल एंड फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन ट्रिब्यूनल ने आदेश जारी किए कि मोदी टायर इस कंपनी को चलाए। इसके बाद कंपनी को दी गई 27 एकड़ जमीन को कंपनी के नाम ट्रांसफर किया गया। इसकी प्रक्रिया 2008 में शुरू की गई थी। इसमें जमीन के स्टांप शुल्क के लिए 7 परसेंट राजस्व शुल्क दिया जाना था। लेकिन कंपनी ने शासन में स्टांप शुल्क में छूट देने के लिए आवेदन किया। जिस पर राज्यपाल ने वर्ष-2011 में कम्पनी को शुल्क में छूट दे दी थी।
अपर नगर आयुक्त ने बताया कि इस आदेश को वर्ष-2013 में खतौनी में दर्ज हो जाना चाहिए था। लेकिन तब बाबू की गलती की वजह से दर्ज नहीं हुआ। उन्होंने कहा 2020 में जब मैं एसडीएम के पद पर तैनात था तब प्रकरण मेरे संज्ञान में उच्चाधिकारियों द्वारा लाया गया। जिस पर मैंने नामांतरण प्रक्रिया को पूरा कर दिया। इस पूरे प्रकरण में कहीं भी मेरे आदेश नहीं हैं।
मंडलायुक्त अमित गुप्ता ने इस मामले में जांच तेज कर दी है। अपर नगर आयुक्त को जल्द जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। वहीं अपर नगर आयुक्त ने जवाब दाखिल करने के लिए शासनादेश की कॉपी समेत सभी कागजों को जुटाना शुरू कर दिया है।