कानपुर। चरस तस्करी के फर्जी मुकदमें में जेल काट रहे युवक को 8 साल के बाद अदालत से इंसाफ मिला है जब 11 किलो चरस के साथ पकड़े गए आरोपी को अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। यही नही अदालत में पुलिस ने जिस बाइक को तस्कर की बताया था, वह भी पुलिस वाले के पिता की निकली जिससे अदालत ने पुलिस को गुमराह करने वाला पैतरा । पुलिस द्वारा कोई सबूत नहीं पेश करने पर अदालत ने 8 साल सुनवाई करने के बाद आरोपी नीरज पाल को रिहा करने का फैसला सुनाया। बतातें चलें कि कानपुर के काकादेव थाना प्रभारी उदय यादव ने यह बरामदगी की थी। 15 जनवरी 2016 को काकादेव थाने के एसओ उदय प्रताप यादव ने मुकदमा दर्ज करते हुए बताया था कि रात 9 बजे विजय नगर में फोर्स के साथ गश्त कर रहे थे। इस दौरान एक बाइक सवार युवक पुलिस को देख कर डबल पुलिया की ओर भागने लगा। गल्ला मंडी चौराहे के पास उसे घेराबंदी कर पकड़ा। पूछताछ में युवक ने अपना नाम प्रतापगंज निवासी नीरज पाल बताया था। तलाशी में युवक के झोले से कई पैकेट में कुल 11 किलो चरस बरामद हुई थी। पुलिस ने नीरज के खिलाफ मुकदमा लिखकर जेल भेज दिया था। मामले की सुनवाई एडीजे-7 आजाद सिंह की कोर्ट में चल रही थी। बचाव पक्ष के वकील दिनेश कुमार पाल ने कोर्ट में बताया कि पुलिस ने जिस बरामद बाइक का जिक्र किया, वह एक पुलिसकर्मी के पिता की है। बचाव पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि मामले में स्वतंत्र गवाह अनिल सिंह के बयान दर्ज होने के बाद लगभग साढ़े 5 साल का मौका देने के बाद भी अभियोजन की ओर से स्वतंत्र गवाह को प्रस्तुत ही किया गया। बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि चरस बरामदगी में नियमों का पालन, गवाहों में बयानों में अंतर व बरामद की गई। बाइक पुलिसकर्मी के पिता व नक्शा नजरी में कुछ बिंदुओं का उल्लेख नहीं किया गया। अभियोजन की ओर से पर्याप्त साक्ष्य न मिलने पर कोर्ट ने गुरुवार को आरोपी नीरज पाल को निर्दोष करार दिया। काकादेव थाना एसओ उदय यादव ने जिस समय 11 किलो चरस के साथ नीरज पाल को अरेस्ट करके जेल भेजा था। उस दौरान शहर में आम चर्चा थी कि दो जुआरियों के बीच की रंजिश के चलते एक जुआरी से थानेदार ने यारी निभाते हुए उसके विरोधी नीरज को चरस में जेल भेजा था। 11 लाख रुपए में थानेदार का यह सौदा हुआ था। नीरज के प्रतिद्वंदी ने कहा था कि जितने किलो चरस लगाओ उतने लाख देंगे। तब उदय यादव ने 11 किलो चरस में अरेस्ट करके नीरज को जेल भेजा था।