कानपुर। बीते दिनों नजूल की जमीन कब्जा करने वाले एक चर्चित मामले से नगर में हड़कंप मचा हुआ है। पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष अवनीश दीक्षित ने 1 हजार करोड़ की कीमत वाली नजूल की जमीन पर अवैध कब्जा करने का प्रयास किया था, लेकिन प्रशासन कि सजकता और सतर्कता के कारण उसके मंसूबे ध्वस्त हो गए थे। इस मामले में प्रशासन की प्रतिदिन जांच और संवैधानिक कार्यवाहियों के कारण यह मामला नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है। ईसाई मिशनरी को भारत सरकार द्वारा लीज पर दी गई जमीन की लीज खत्म होने के बाद फर्जी दस्तावेजों के जरिए कब्जा करने वाले अवनीश पर कई गंभीर धाराओं में अभियोग पंजीकृत हुआ था, जिसके बाद पुलिसिया कार्यवाही करते हुए अवनीश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जेल जाने के बाद अवनीश और उसकी गैंग के कारनामे धीरे धीरे सामने आने लगे, जमीन को कब्जाने पहुंचे अराजक तत्वों का गैंग अवनीश की गिरफ्तारी के बाद से नगर छोड़कर फरार हो गया था। अवनीश के साथ कई अन्य लोगो का भी नाम सामने आया था, जिसमे अवनीश का एक खास गुर्गा मनोज यादव उर्फ वसूली बंदर का नाम भी शामिल था जो अवनीश के जेल जाने के बाद से फरार चल रहा था। प्रशासन को चकमा देकर फरार होने वाला हिष्ट्रीशीटर मनोज 25 हजार का ईनामी घोषित कर दिया गया था। काफी प्रयासों के बाद कानपुर कमिश्नरेट की थाना बादशाहीनाका पुलिस ने मनोज यादव उर्फ वसूली बन्दर को गिरफ्तार कर लिया है। मनोज यादव उर्फ वसूली बंदर पर थाना बादशाहीनाका पर पीड़ित की तहरीर के आधार पर गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत हुआ था। जिसके बाद उसे पकड़ने के लिए टीम गठित की गई थी लेकिन शतिर मनोज पुलिस को चकमा देकर फरार चल रहा था। 25 हजार के इनामी अपराधी मनोज यादव उर्फ वसूली बन्दर पर कई मामले पहले से ही अलग अलग थाना क्षेत्रों में दर्ज थे, जिनमें हत्या का प्रयास, लूट, चोरी और आर्म्स एक्ट के साथ लगभग 6 गंभीर मामले नगर में दर्ज हैं। मनोज की गिरफ्तारी के समय पुलिस को उसके पास से घटना को अंजाम देने में इस्तेमाल होने वाला अवैध तमंचा भी बरामद हुआ है। गिरफ्तारी के बाद उसे जेल भेज दिया गया है।