स्वतंत्र लेखन मंच ने मंच अध्यक्षा डॉ दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ के मार्गदर्शन और डॉ विनोद वर्मा दुर्गेश ‘मुकुंद’के नेतृत्व में शिक्षक दिवस की सार्थकता को साकार करने के उद्देश्य से एक चार दिवसीय प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य शिक्षकों को सम्मान देना और उनके एक छात्र के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के प्रयासों को उचित मान्यता प्रदान करना था।
प्रतियोगिता के पहले दिन, ‘ज्ञानदाता शिक्षक’ शीर्षक पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’ ने संचालन किया। इस दिन 29 रचनाकारों ने अपने गीतों और अनूठे भावों से शिक्षक वृंद को आदरांजलि अर्पित की। कार्यक्रम की समीक्षा अशोक दोशी ‘दिवाकर’ ने अपने अनूठे अंदाज में की।
दूसरा और तीसरा दिन ‘ज्ञानपुंज शिक्षक’ शीर्षक पर आधारित चौपाई सृजन प्रतियोगिता के लिए समर्पित रहा। मंच संचालिका सिद्धि डोभाल ‘सागरिका’ने सक्रियता से कर्तव्य निर्वहन किया। सुरेश चन्द्र जोशी ‘सहयोगी’, सुमन किमोठी ‘वसुधा’ और दिव्या भट्ट ‘स्वयं’ ने 31 रचनाकारों का मार्गदर्शन, संशोधन व उत्साहवर्धन किया, जिन्होंने अद्भुत चौपाइयाँ लिखकर मंच को सुशोभित किया।
अंतिम दिन 5 सितंबर को भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर 30 रचनाकारों ने अपने शिक्षक या विद्यार्थी जीवन के अविस्मरणीय पलों को याद करते हुए गीतों के माध्यम से स्वरांजलि अर्पित की। मंच संचालिका रेखा पुरोहित ‘तरंगिणी’ ने कहा कि इस प्रतियोगिता का संचालन उनके लिए एक यादगार अनुभव रहा। 5 सितंबर को मंच की नियमित रचनाकार लेखिका जया त्रिपाठी मिश्रा ‘संवेदना’का जन्मदिन अनूठे अंदाज़ में मनाया गया। अन्य प्रतिभागियों में फूलचंद्र विश्वकर्मा भास्कर, स्वर्ण लता सोन कोकिला, नंदा बरमाड़ा सलिला,, सविता मेहरोत्रा सुगंधा, नृपेन्द्र चतुर्वेदी सागर, मोहन प्रसाद यादव साधक, अरुण ठाकर कवित्त, रंजना बिनानी स्वरागिनी, डॉ पूनम सिंह सारंगी, अनु तोमर अग्रजा, डॉ पूर्णिमा पाण्डेय, संगीता चमोली इंदुजा , सरोज डिमरी, अनु भाटिया, बबीता भाटिया, किरण भाटिया, कंचन वैभव वर्मा, सुमन अग्रवाल, नीता कपूर, सतीश कुमार नारनौंद, मंजुला सिन्हा मेघा, माधुरी श्रीवास्तव, वीना टंडन पुष्करा, बाबूलाल नायक , बाल मुकुन्द द्विवेदी, नीरू बंसल, अनीता काला, संतोषी किमोठी वशिष्ठ सहजा, सुमित्रा गुप्ता सखी आदि आदि की रचनाओं ने स्वतंत्र लेखन मंच को सुवासित कर दिया।
प्रतियोगिता और प्रतिभागिता के लिए नीरजा शर्मा ‘अवनि’, सुमित जोशी राइटर’ जोश’, सुनील भारती आज़ाद ‘सौरभ’और नीतू गर्ग ‘कमलिनी’ ने रचनात्मक पोस्टर, कोलाज और वीडियो बनाए। सभी प्रबुद्ध सृजनकारों को अनुपम प्रशस्ति पत्र ‘ज्ञान स्वर सम्मान’ ‘ज्ञान पुंज सम्मान’और ‘विद्यावत्सल सम्मान’ प्रदान किए जो कार्यक्रम की गरिमा के अनुरूप थे। कृष्णकांत मिश्र ‘कमल’ के सहयोग और डॉ दवीना ठकराल ‘देविका’ के उद्बोधन ने रचनाकारों के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन का कार्य किया।उन्होंने कहा – शिक्षक अपने अनुभवों, शिक्षण विधियों और व्यक्तित्व के माध्यम से छात्रों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। वे छात्रों की जिज्ञासा को प्रोत्साहित करते हैं, उन्हें स्वतंत्र सोच विकसित करने की प्रेरणा देते हैं, और उनके अंदर आत्मविश्वास जगाते हैं। शिक्षा केवल पढ़ाई-लिखाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की कला है। शिक्षक अपने अनुभवों और ज्ञान का प्रयोग कर छात्रों के सामने नई संभावनाओं के द्वार खोलते हैं। वे उन्हें सिखाते हैं कि कैसे समस्याओं को हल करना है कैसे निर्णय लेना है और कैसे जीवन के हर पहलू में सफल होना है। डॉ अनीता राजपाल ‘वसुंधरा’के शब्दों में शिक्षक दिवस के इस आयोजन ने न केवल शिक्षकों के प्रति सम्मान को प्रकट किया, बल्कि रचनाकारों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मंच भी प्रदान किया।