July 13, 2025

संवाददाता
कानपुर। 
मानसूनी बारिश शुरू होते ही जर्जर मकानों में रह रहे लोगों की धड़कने बढ़ने लगी हैं, बादलों की गरज और बारिश की बूंदों के साथ इन जर्जर मकानों में रहने वाले लोग हादसे की आशंका के चलते सहम रहे हैं। बीते दिनों हुई बारिश में गांधी नगर स्थित एक जर्जर मकान का छज्जा गिर गया, गनीमत रही कि कोई इस हादसे में शिकार नहीं हुआ।
कलक्टरगंज, बादशाहीनाका, कुलीबाजार, जनरलगंज, बादशाहीनाका सब्जीमंडी, लक्ष्मीपुरवा, लाठी मोहाल, सिरकी मोहाल, नौघड़ा, चूना पट्‌टी, हालसी रोड, खोया बाजार, हटिया, मनीराम बगिया, शिवाला, बांसमंडी समेत कई पुराने क्षेत्रों में भी सैकड़ों जर्जर मकान हैं, बारिश शुरू होते ही जर्जर भवनों के गिरने का डर बढ़ गया है।
वहीं, नगर निगम में मकानों को गिराने संबंधी पत्रों की बाढ़ सी आ गई है, जिससे नगर निगम अधिकारी भी परेशान हैं। हैरत की बात तो यह है कि इन पल–पल गिरते मकानों को लोग खाली भी नहीं कर रहे हैं।अधिकांश जर्जर मकान किराएदार और मकान मालिक के बीच चल रहे विवाद के कारण खाली नही हो पा रहे है। ऐसे मकानों का सर्वे करना और फिर गिराने की अनुमति देना अधिकारियों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक शहर में 430 जर्जर मकान चिह्नित किए गए हैं, इनमें सबसे ज्यादा 222 जर्जर मकान जोन एक में हैं। इन भवनों में करीब 5 हजार से अधिक लोग रह रहे हैं। इन मकानों को खाली करने का नोटिस दिया जा चुका है, इसके बावजूद लोग मकान खाली करने को तैयार नहीं है। कई जर्जर भवनों में फैक्ट्री, गोदाम व बड़ी-बड़ी दुकानें तक चल रही हैं।
मई से लगातार नगर निगम में जर्जर भवन गिराने संबंधी प्रार्थना पत्र आ रहे हैं। जून में इसकी तादात बढ़ गई है। निगम में हर तीसरा पत्र जर्जर भवन गिराने के लिए पहुंच रहा है। नई सड़क निवासी शबनम ने, कोपरगंज कुली बाजार निवासी अच्छे, परमट में अजय समेत दर्जनों चिट्ठियां इस बार नगर निगम पहुंची हैं। जिसमें मकानों को गिराने की गुहार लगाई गई है।
अधिकारियों की मानें तो अब तक करीब 50 जर्जर मकानों के ध्वस्तीकरण की शिकायतें आ रही हैं। नगर आयुक्त सुधीर कुमार ने बताया कि जर्जर भवनों को गिराने के लिए नगर निगम अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है। पत्रों के आधार पर हम जांच करा रहे हैं।
शहर में कई जर्जर इमारतों में मकान मालिक के साथ वर्षों से किराएदार भी रह रहे हैं। कई किराएदारों ने तो कोर्ट तक में मामला दायर किया है। ऐसे में जर्जर घोषित होने के बाद भी भवन को गिराना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। जर्जर भवन की सूचना पर नगर निगम की टीम भौतिक जांच करने पहुंचती है तो मकान मालिक को नोटिस देकर चली आती है, और उन्हें खुद ही मकान गिरवाने के निर्देश देती है। ऐसे में मकान मालिकों के सामने बड़ी समस्या खड़ी होती है, कि अगर कोई दुर्घटना हुई तो कौन जिम्मेदार होगा। इसी समस्याओं के चलते मामला लटका रहता है। 

नगर निगम जर्जर भवनों को गिराने का खर्च मकान मालिक से ही लेता है। इसलिए  कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाती है।