—जगदीश चंद्र बसु ने सिद्ध किया पौधे को सायनाइड देकर की पौधें भी जीव है।
आ स. संवाददाता
कानपुर। मेट्रों के तैतीस किलोमीटर निर्माण कार्य में एक आरटीआई के माध्यम से बड़ी जानकारी सामने आई जिसमे हज़ारों हरे भरे समृद्ध वृक्षों को जड़ों से काट कर नष्ट कर दिया गया। जबकि निर्माण कार्य अभी मात्र तीस प्रतिशत ही पूर्ण हुआ है वृक्ष का महत्व मानव जाति के साथ प्रकृति में सबसे अधिक है यह वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने सन 1901 में रिसर्च करने के बाद पौधों में जीवन होता है साबित करने के लिए लंदन की रॉयल सोसायटी में एक सेमिनार में पौधे को सायनाइड देकर उसके तत्काल मृत हो जाने पर सिद्ध किया था कि पौधें भी जीव है।
जग विदित है क्योंकि वृक्ष बढ़ने के साथ ही हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को सोख कर ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, इसलिए इन्हें लगाने से जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में इनकी सहयोगी भूमिका रहती है। पेड़ लंबे समय तक पर्यावरण में योगदान देते हैं, और मानव जीवन संचालित करने के लिए फल, सब्जियों के साथ औषधि के लिए जड़ी बूटियां भी देते है। हरे भरे वृक्ष हवा की गुणवत्ता और जलवायु को सुधारने के साथ जल संरक्षण, मिट्टी को संरक्षित करने व वन्यजीवों का भी पालन पोषण करते है। इसीलिए सारी दुनिया में वृक्ष लगाए जाते हैं और वृक्ष लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। लेकिन हाल ही में पूरे प्रदेश में मेट्रो रेल का कार्य उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (यूपीएमआरसी) द्वारा किया जा रहा है, जिसके कार्य में बाधा बन रहे हरे भरे वृक्षों को नष्ट किया जा रहा है। इसी क्रम में नगर के एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा जन सूचना के माध्यम से इस संबंध में विभाग द्वारा जानकारी चाही तो पेड़ों के पतन के आंकड़े कुछ चौंकाने वाले सामने आए। उनके द्वारा पूछे गए प्रश्न में बताया गया उ0प्र0 मेट्रो रेल कारपोरेशन लि0, कानपुर को मेट्रों रेल निर्माण में बाधक पेड़ों के पातन की अनुमति वृक्ष संरक्षण अधिनियम में निहित प्राविधानों के अन्तर्गत दी गई है। साथ ही पूछे गए दूसरे प्रश्न के उत्तर में यह बताया गया कि उ0प्र0 मेट्रो रेल कारपोरेशन लि0, कानपुर को मेट्रों रेल निर्माण में बाधक नगर निगम के 734 वृक्ष, सी.एस.ए. के 479 वृक्ष, मेडिकल कालेज के 34 वृक्ष और वन विभाग के 161 वृक्ष कुल 1408 वृक्षों के काटने की अनुमति दी गई है। जहां एक पौधे को वृक्ष बनने में वर्षों का समय तय करना होता है, वही वृक्षों का पतन मेट्रो के कार्य के लिए लगातार किया जा रहा है। जबकि नियमानुसार एक वृक्ष के पातन पर दस वृक्ष लगाए जाने चाहिए।
जबकि अभी तक कानपुर में मेट्रो का केवल 9 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बनकर तैयार हो चुका है, और संचालित है। यह कॉरिडोर आईआईटी कानपुर से मोतीझील तक फैला है। इसके अलावा, कानपुर मेट्रो के कॉरिडोर-2 का काम भी तेज़ी से चल रहा है। मार्च 2025 तक पहले कॉरिडोर पर कानपुर मेट्रो कॉरपोरेशन का प्रयास है कि पूरी तरह से मेट्रो की सेवाएं शुरू हो जाएंगी।
उ०प्र० मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के (डीजीएम) पंचानन के मुताबिक उन्होंने वन विभाग को काटे गए पेड़ों के बदले उसका शुल्क अदा कर दिया है। साथ ही उनका यह भी कहना है यदि नगर निगम या वन विभाग उन्हें जगह आवंटित कर देता तो मेट्रो द्वारा काटे गए पेड़ों के बदले वह वृक्षारोपण करते। लेकिन जगह नहीं दी गई जिस कारण उन्होंने वृक्षों के एवज में उसका शुल्क अदा कर दिया।