संवाददाता।
कानपुर। नगर में मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में अब गंभीर मरीजों को तत्काल बेहतर उपचार देने के लिए इमरजेंसी में तीन जोन बनाए गए है। रेड, यलो और ग्रीन जोन है। इस जोन को इमरजेंसी के पास ही बनाया गया है, जो भी मरीज बहुत गंभीर अवस्था में पहुंचेगा उसे तत्काल उपचार देने के लिए रेड जोन में भर्ती किया जाएगा। कम गंभीर मरीजों को यलो जोन में और अन्य मरीजों को ग्रीन जोन में भर्ती किया जाएगा। गुरुवार को प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके सिंह ने अपनी टीम के साथ सभी जोन का निरीक्षण कर तैयारी का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि अति शीध्र इसे चालू किया जाएगा। कानपुर मेडिकल कॉलेज के प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि हम लोगों ने डीएनबी बोर्ड को एक पत्र लिखा था। इसके बाद से शासन स्तर से इसे हरी झंडी मिल गई थी। इसे लगभग 30 लाख की लागत से तैयार किया गया है। डॉ. सिंह ने बताया कि रेड जोन में 15 बेड, यलो जोन में 10 बेड, 5 बेड ग्रीन जोन के लिए सुनिश्चित कराए जाएंगे। सभी जोन में डॉक्टरों की अलग-अलग टीम होगी, जो भी मरीज यहां पर आएंगे उन्हें तुरंत इलाज देना ही डॉक्टरों की पहली प्राथमिकता होगी। मरीज को कितनी जल्दी इलाज देकर उसे बचाया जा सके इसके लिए डॉक्टरों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी। रेड जोन में जितने भी बेड होंगे वह सारी सुविधाओं से लैस होंगे। आईसीयू सपोर्ट बेड होगा। उसमें ऑक्सीजन, पल्स, मॉनिटर सभी कुछ अटैच होगा। मरीज को इस बेड से उस बेड तक ले जाने का भी झंझट नहीं रहेगा। रेड जोन के जितने बेड होंगे वह बिल्कुल अलग होंगे और वहां पर मैनपावर भी अधिक होगी। डॉक्टरों की जो भी टीम वहां लगाई जाएगी वह पूरी तरह से प्रशिक्षित होगी। मेडिकल हो या सर्जरी सभी को वहां रखा जाएगा। रेड जोन के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों को ही नियुक्त किया जाएगा, ताकि जब मरीज वहां पर पहुंचे तो उनको किसी से राय लेने की जरूरत ना पड़े और तत्काल उपचार शुरू हो जाए। यदि ट्रामा का मरीज 1 घंटे के अंदर अस्पताल पहुंच जाता है तो 50% उसकी जान बचाई जा सकती है। कानपुर मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी में कानपुर ही नहीं बल्कि आसपास के करीब 8 से 10 जिलों के मरीज यहां पर आते हैं। उन्नाव, फतेहपुर, घाटमपुर, बांदा, इटावा, औरैया समेत कई ऐसे जिले हैं जहां पर बड़ी घटना होने के बाद मरीजों को कानपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। इसलिए अस्पताल प्रबंधन इमरजेंसी सुविधाओं को दुरस्त करने का निर्णय लिया है।