संवाददाता।
कानपुर। नगर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के स्कूल ऑफ हेल्थ साइंसेस अंतर्गत संचालित स्वास्थ्य केन्द्र, राजकीय बाल गृह, कानपुर और आरोग्य क्लीनिक, लाल बंगले में निशुल्क स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम संपन्न हुआ। इसमें लगभग 134 बच्चों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. वंदना पाठक, डॉ. निरंकार गोयल, डॉ. प्रवीण कटियार, हेल्थ साइंस के निदेशक डॉ. दिग्विजय शर्मा, हरीश चन्द्र शर्मा, मोहित और उषा ने दीप प्रज्वलन व धन्वन्तरि पूजन, आरती के साथ किया। स्वर्णप्राशन के बारे में वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. वंदना पाठक ने बताया कि आयुर्वेद की यह विधा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर है। संस्कार की महत्ता बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रचलित 16 संस्कारों में से एक संस्कार यह भी है। उन्होंने कहा कि यह विधा बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित करने में विशेष रूप से सहायक है। जिन बच्चों में यह संस्कार नियमित रूप होता है, उनमें मौसम और वातावरणीय प्रभाव के कारण होने वाली समस्याएं अन्य बच्चों की अपेक्षा कम देखी गई है। स्वर्णप्राशन में प्रयुक्त होने वाली चीज में कई प्रकार की औषधि का प्रयोग किया जाता है। इसको स्वर्ण भस्म, वच, गिलोय, ब्राह्मी, गौघृत, मधु आदि द्रव्यों के सम्मिश्रण से बनाया जाता है। इस अवसर पर उपस्थित अभिभावकों और लोगों को शरद ऋतु के अनुसार आहार-विहार और बच्चों में होने वाले रोगों पर विशेष रूप से ध्यान देने का परामर्श दिया। डॉ. वंदना पाठक ने अभिभावकों क औषधियों के बारे में व उनके महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि औषधी एक ऐसा चीज है, जिसके माध्यम से हम अपने शरीर की सभी बीमारियों को दूर कर सकते है। गिलोय, स्वर्ण भस्म यह हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण चीज है।