संवाददाता।
कानपुर। नगर में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के गेट पर धरना प्रदर्शन कर रहे दो छात्रों की हालत बिगड़ गई। छात्रों ने एंबुलेंस बुलाई लेकिन बीमार छात्र जाने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद धरना स्थल पर छात्रों को डॉक्टरों ने इंजेक्शन द्वारा दवा चढ़ाई। विश्वविद्यालय ने मारपीट और अनुशासनहीनता में नौ छात्रों को निष्कासित करने की कार्रवाई की थी। छात्रों की सजा पूरी होने के बाद भी उन्हें परीक्षा देने से मना किया गया था। इससे नाराज छात्रों ने छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के गेट पर बुधवार को जमकर हंगामा किया। पहले वह विश्वविद्यालय के अंदर प्रदर्शन करना चाह रहे थे लेकिन अंदर न जाकर उन्होंने गेट पर धरना प्रदर्शन किया। काफी देर तक चले इस प्रदर्शन के बाद बुधवार को विश्वविद्यालय प्रशासन गेट पर ही उनसे मिलने के लिए आया। इस दौरान छात्रों ने कहा कि इससे पहले भी ज्ञापन सौंपा जा चुका है लेकिन हम लोगों की समस्या नहीं सुनी जा रही है। यदि समस्या नहीं सुनी गई तो यह धरना जारी रहेगा। छात्रों ने गेट पर एक बैनर लगा रखा है, इसमें लिखा है ‘तनाशाह कानपुर विश्वविद्यालय प्रशासन के विरुद्ध विशाल धरना अनशन’। धरने पर बैठे अभिजीत राय व उनके समर्थक राहुल शर्मा की हालत बिगड़ गई। दोनों को चक्कर, उल्टी और पेट दर्द की समस्या हुई। अभिजीत ने कहा कि विश्वविद्यालय हमारे ऊपर जबरन धरना समाप्त करने का दबाव बना रहा है लेकिन यह धरना अंतिम सांस तक जारी रहेगा। विश्वविद्यालय में बीटेक द्वितीय और चतुर्थ वर्ष के छात्रों के बीच मई 2023 में मारपीट हुई थी। इस प्रकरण में काल्याणपुर थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो मई 2023 को नौ छात्रों को बर्खास्त कर दिसंबर तक के लिए छात्रावास से निष्काषित करने के साथ 20 हजार का जुर्माना भी लगाया था। छात्र अभिजीत राय ने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से दी गई सजा अब पूरी हो चुकी हैं। लेकिन, अभी भी छात्रों की बहाली नहीं की जा रही है। इससे हम लोगों का भविष्य खतरे में हैं। कुछ दिन पहले अपनी मांगों का ज्ञापन भी परीक्षा नियंत्रक को सौंपा था। अब तक बहाली नहीं की गई।कुलसचिव अनिल यादव ने छात्रों के प्रदर्शन के बाद आदेश जारी करते हुए कहा कि निष्कासित चल रहे छात्र अपनी छूटी हुई परीक्षाएं मई और जून में दे सकेंगे। लेकिन, छात्र हॉस्टल से निष्कासित रहेंगे। अर्थदंड की सजा भी यथावत रहेगी।छात्रों ने कहा कि हमें अर्थदंड से मुक्त किया जाए, जो कि 20 हजार रुपये है। हमारे घर वालों को विश्वविद्यालय प्रशासन धमकाता है यह बंद किया जाए। इसके अलावा हॉस्टल में भी हमें प्रवेश दिया जाए।