संवाददाता।
कानपुर। नगर के रायपुरवा क्षेत्र में कपड़ा व्यापारी मनीष कनोडिया के लड़के कुशाग्र की किडनैप के बाद हत्या हुई। मंगलवार सुबह उसकी लाश मिली। सोमवार को शाम 4 बजे कुशाग्र कोचिंग के लिए निकला था, लेकिन उसका पता नहीं चला। रात 9 बजे के करीब घर पर 30 लाख की फिरौती का लेटर आया। लिखा था- मैं नहीं चाहता कि आपकी दीवाली खराब हो पैसा दो और बच्चे को ले जाओ। ‘अल्लाह-हू-अकबर’। परिवार घबराया हुआ था, लेकिन उन्होंने पुलिस पर भरोसा रखा। पुलिस ने बच्चे की तलाशी शुरू की, तो लेटर देने वाले का स्कूटी नंबर मिला। स्कूटी के आधार पर ट्यूशन टीचर रचिता का नाम सामने आया। जिसने करीब दो साल पहले कुशाग्र को पढ़ाना छोड़ दिया था। लेकिन रचिता को कुशाग्र का परिवार बेटी की तरह मानता था। परिवार में बेटी न होने की वजह से उसका कन्यादान करने का फैसला लिया था। इसलिए उसका नाम आने पर कुशाग्र के माता-पिता यकीन करने के तैयार नहीं थे। तभी कुशाग्र के मामा ने दबाव बनाकर पूछने को कहा।कुशाग्र के मामा ने रचिता को कॉल करके उसके बारे में पूछा। फिर मामा ने रचिता को कुशाग्र के लापता होने की जानकारी दी। मामा ने बताया कि 4 बजे कोचिंग पढ़ने निकला था। तब से कोई बातचीत नहीं हो पा रही है। 7:30 बजे के बाद मोबाइल भी स्विच ऑफ आ रहा है। रचिता ने कहा, अभी वो ट्यूशन पढ़ा रही है। कुशाग्र के बारे में कोई जानकारी नहीं है। कुछ देर बाद रचिता ने कॉल करके कुशाग्र के बारे में जानकारी ली। फिर अनजान बनकर उसके मामा की पहचान पूछी। मामा से कहने लगी कि आदी (कुशाग्र का छोटा भाई) किसी लेटर के बारे में बता रहा था। क्या है मामला? मेरी स्कूटी के बारे में पूछ रहा था। उसकी बातों से मेरा बीपी लो हो गया कि स्कूटी तो मेरे पास है, इस मामले में मेरा नाम कैसे आ रहा है? रचिता 8वीं तक के बच्चों को सभी सब्जेक्ट पढ़ाती थी। अच्छा पढ़ाने के कारण आचार्य नगर में ही कई और बच्चों को भी पढ़ाती थी। कुशाग्र के घर से करीब 200 मीटर दूरी पर आनंद रहते हैं। वो बताते हैं कि सोमवार को बच्चों को पढ़ाने आई थी। लेकिन उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। जैसे रोजाना पढ़ाती थी, वैसे ही पढ़ा रही थी।बच्चों को पढ़ाने के बाद करीब 8 बजे निकल गई। ये पूरी घटना कुशाग्र के किडनैप होने के बाद की है। लेकिन रचिता पर कोई संदेह नहीं हुआ कि उसे कुशाग्र की किडनैपिंग और मर्डर की जानकारी है। बच्चों को पढ़ाने के बाद निकल गई। आज गार्ड से पता चला कि आरोपी फिरौती का पर्चा देने रचिता की गाड़ी से आया था।आनंद बताते हैं कि उन्हें जब घटना की जानकारी हुई, तो वो कुशाग्र के घर पहुंचे। वहां पर गार्ड राजेंद्र प्रसाद से पूरी घटना के बारे में पता चला। गार्ड ने उन्हें बताया कि एक लड़का मुंह पर कपड़ा बांधकर आया। एक पर्ची देकर बोला कि इसे कुशाग्र के घर पर दे देना। गार्ड ने उसे मना करते हुए कहा कि खुद दे आओ। लड़का पर्ची देने आगे बढ़ा तो गार्ड गाड़ी का नंबर देखने गया। नंबर प्लेट पर कपड़ा लगा हुआ था। गार्ड को कुछ संदेह हुआ तो उसने कपड़ा हटाकर नंबर नोट कर लिया। रचिता पढ़ाने आती थी। इस वजह से गार्ड नंबर पहचानता था। जब वो नंबर नोट कर रहा था तभी लड़का कुछ फेंका और वापस आ गया। काफी गुस्से में गार्ड को घूरा और स्कूटी लेकर वहां से निकल गया। रचिता के मां-बाप का देहांत हो चुका है। तीन भाई-बहनों में रचिता सबसे बड़ी है। मां-बाप के देहांत के बाद दो भाई बहन ननिहाल में रहते हैं। लेकिन रचिता यहीं रहकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी। करीब चार साल पहले उसने कुशाग्र को पढ़ाना शुरू किया। 2022 में कुशाग्र नवीं में आ गया। आठवीं तक ट्यूशन पढ़ाने की वजह से रचिता ने पढ़ाना छोड़ दिया। फिर उसके छोटे भाई को पढ़ाने लगी। लेकिन कुछ महीनों पहले उसे भी पढ़ाना बंद कर दिया था। इसके बाद रचिता कुशाग्र के घर आती जाती थी। कुशाग्र के माता-पिता उसे परिवार की तरह रखते थे। असल में मनीष कनोडिया की कोई लड़की नहीं थी। इस वजह से वो रचिता को अपनी बेटी की तरह मानते थे। रचिता के मां-बाप न होने की कारण से कुशाग्र के माता-पिता ने उसका कन्यादान करने का फैसला लिया था। उन्हें नहीं पता था जिसे वो बेटी मानते हैं, वही उनके बेटे का कत्ल कर देगी।ओमनगर में इंद्रकुटी हाता में जहां पर कुशाग्र की हत्या की गई, वहां चार सीसीटीवी लगे हैं। आसपास के लोगों ने बताया कि गली में जितनी गाड़ी खड़ी होती थी। अक्सर उनकी सीट को ब्लेड से काट दिया जाता था। जिसकी वजह से लोगों को दिक्कत होती थी। सबने सीसीटीवी लगवाने की योजना बनाई। जिसमें आरोपी प्रभात भी शामिल था। उसने सारे सीसीटीवी अपने हिसाब से लगवाया था।सीसीटीवी में आरोपी प्रभात के पीछे से कुशाग्र जाते हुए दिख रहा है। इसी सीसीटीवी में आरोपी तो कमरे से बाहर आते दिखे, लेकिन कुशाग्र नहीं दिखा। पुलिस की तलाशी में कुशाग्र का शव उसी कमरे से मिला।