संवाददाता।
कानपुर। 21 दिसंबर को जम्मू के पुंछ में आतंकी हमले में कानपुर के करन सिंह यादव शहीद हो गए थे। उनका पार्थिव शरीर सोमवार को उनके घर पहुंचा। शाम 4 बजे उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान किसी को उनका अंतिम दर्शन नहीं करने दिया गया। क्योंकि, उनका पार्थिव शरीर पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो चुका था। इस वजह से ताबूत के ऊपर उनकी तस्वीर रख दी गई। लोगों ने उसके ही दर्शन किए। वहीं अंतिम दर्शन के लिए चौबेपुर के भाऊपुर माधोसिंह गांव में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी । सपा विधायक अमिताभ बाजपेई, कैबिनेट मंत्री राकेश सचान और राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला भी पहुंचीं7इस दौरान माता-पिता, पत्नी और बहन का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। बेटे की शहादत पर पिता बालक राम के आंसुओं की धार रुक नहीं रही थी । लेकिन बेटे की शहादत देश प्रेम का उनका हौसला नहीं तोड़ सकी। उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। उनका कहना है कि वह अपने दूसरे बेटे अर्जुन को भी सेना में भेजना चाहते हैं। अगर सरकार मौका देगी, तो उसे भी बॉर्डर पर भेजेंगे। चौबेपुर के भाऊपुर माधोसिंह गांव के लाल शहीद करन सिंह यादव सेना में लांस नायक के पद पर तैनात थे। 21 दिसंबर को जम्मू के राजौरी के पुंछ में आतंकी हमले में पांच जवान शहीद हुए थे। इसमें करन भी शामिल थे। सैन्य अफसरों के साथ 23 दिसंबर को भाई, पत्नी समेत अन्य रिश्तेदार जम्मू गए थे। शहीद के पिता बालक राम ने बताया, करन बीते अगस्त महीने में गांव आया था, उसने जल्द ही छुट्टी पर आने की बात कही थी। लेकिन, बेटे के आने से पहले उसके शहादत की खबर आई आ गई। गुरुवार को हमारे पास राजौरी कमांड सेंटर से फोन आया था। बताया गया कि बेटा शहीद हो गया। यह सुनते ही मेरे आंखों के सामने अंधेरा छा गया। पूरे परिवार में कोहराम मच गया। करन ने कहा था कि छोटी बहन की शादी बड़े ही धूमधाम से करूंगा।शहीद के पिता बालक राम यादव पेशे से किसान हैं। बालक राम के परिवार में पत्नी सरस्वती, दो बेटे करन, अर्जुन, तीन बेटियां साधना, अराधना, सोमवती एवं बहू मंजू हैं। करन यादव की शादी मंजू से हुई थी। बच्चों को आर्मी स्कूल में पढ़ाने की वजह से शहीद की पत्नी मंजू दोनों बच्चों आर्या ( 6 वर्ष), आर्यन ( 2 वर्ष) के साथ रामादेवी में रहती थीं।बच्चे शहादत की खबर मिलने के बाद से गांव में ही हैं। करन ने 2013 में आर्मी जॉइन की थी। उनकी तैनाती जम्मू कश्मीर के राजौरी सेक्टर में थी।