November 22, 2024

संवाददाता।
कानपुर। नगर के चर्चित बिकरू कांड के आरोपी जयकांत बाजपेई के तीनों भाइयों की कानपुर पुलिस कमिश्नरेट ने गुपचुप तरीके से गुंडा एक्ट खत्म कर दी है। जेल में बंद जयकांत के साथ ही उसके काले धंधों में तीनों भाइयों की भी संलिप्तता सामने आई थी। इसके बाद जयकांत के तीनों भाइयों पर 2021 में गुंडा एक्ट की कार्रवाई की गई थी, लेकिन अब जेसीपी आनंद प्रकाश तिवारी के आदेश पर तीनों की गुंडा एक्ट को खत्म कर दिया गया है। कानपुर के चर्चित बिकरू कांड में नजीराबाद थाना क्षेत्र का रहने वाला जयकांत बाजपेई भी आरोपी है। जयकांत बाजपेई गैंगस्टर विकास दुबे का खजांची था। बिकरू कांड के बाद अपनी लग्जरी गाड़ियाें, असलहे और रुपए देकर गैंगस्टर विकास दुबे को भगाने की कोशिश की थी, लेकिन इससे पहले जयकांत की तीनों गाड़ियों को पुलिस ने पकड़ लिया था। जांच में उसके तीनों भाइयों शोभित, अजयकांत और रजयकांत बाजपेई की भी संलिप्तता सामने आई थी। इसके बाद नजीराबाद पुलिस ने तीनों भाइयों शोभित बाजपेई, रजयकांत बाजपेई और अजयकांत बाजपेई के खिलाफ नजीराबाद थाने से गुंडा एक्ट और गैंगस्टर की कार्रवाई की गई थी, लेकिन अब कानपुर के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी के आदेश पर तीनों की गुंडा एक्ट खत्म कर दी गई है। मौजूदा समय में नजीराबाद थाना प्रभारी कौशलेंद्र प्रताप हैं। बिकरू कांड के दौरान दबिश में शामिल कौशलेंद्र प्रताप सिंह के पैर में भी गोली लगी थी। बिकरू कांड में कौशलेंद्र की जान जाते बची थी और बिकरू कांड के प्रत्यक्षदर्शी हैं। लंबे इलाज के बाद कौशलेंद्र ड्यूटी पर वापस लौट सके थे। इसके बाद भी कौशलेंद्र के कार्यकाल पर जयकांत बाजपेई के तीनों भाइयों की गुंडा एक्ट खत्म होने पर उनकी भूमिका संदेह के दायरे में आ गई है। बिकरू कांड के आरोपियों में से 30 लोगों पर चौबेपुर पुलिस ने गैंगेस्टर की कार्रवाई की थी। इसमें विकास दुबे का खजांची जयकांत बाजपेई भी नाम शामिल था। कानपुर देहात की कोर्ट की गैंगस्टर कोर्ट ने 5 सितंबर 2023 को जयकांत बाजपेई समेत 23 आरोपियों को दस वर्ष की कैद व 50-50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। इसके बाद भी कानपुर पुलिस गुंडा एक्ट मामले में राहत देकर खुद कटघरे में खड़ी हो गई है। बिकरू कांड के बाद एनकाउंटर में मारा गया गैंगस्टर विकास दुबे ने बीते 2 जुलाई 2020 की रात अपने गुर्गो के साथ मिलकर पुलिस टीम पर घात लगाकर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। इस फायरिंग में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे और 6 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। बीते 3 जुलाई की दोपहर विजय नगर चौराहे से जय बाजपेई की तीन लग्जरी कारें लावारिस हालत में पाई गई थीं। पुलिस की मानें तो इन कारों का इस्तेमाल विकास दुबे और उसके गुर्गों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए होने वाला था। पुलिस की सक्रियता के कारण ये गाड़ियां पकड़ ली गई थीं। यहीं से जय बाजपेई पुलिस की रडार पर आ गया था। इसके बाद जयकांत के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करके उसे जेल भेजा गया था। विकास दुबे के साथ उसकी और तीनों भाइयों की संलिप्तता सामने आने पर गुंडा एक्ट की कार्रवाई की गई थी। विकास दुबे का खजांची जय बाजपेई 10 साल पहले नजीराबाद थाना क्षेत्र में एक छोटे से मकान में रहता था और प्रिंटिंग कारखाने में काम करता था। कहा जाता है कि इसी बीच जय हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के सपंर्क में आ गया। दरअसल, विकास दुबे का गांव और जय का गांव आसपास है। जय बाजपेई हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की ब्लैकमनी को व्हाइट करने का काम करता था। इस काम में उसके तीनों भाई उसका साथ देते थे। इतना ही नही जय बाजपेई विकास दुबे का पैसा रियल स्टेट, जमीनों की खरीद फरोख्त, सरकारी जमीनों पर कब्जा करने में लगाता था। जय और उसके भाइयों ने अपराध के जरिए अकूत संपत्ति अर्जित की थी। विकास दुबे का करोड़ों रुपया जय बाजपेई ने ब्याज पर बांट रखा था। 

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